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ABVP अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् मधेपुरा नगर इकाई ने बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) राम बदन यादव की आत्मा की शांति हेतु ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।

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श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् मधेपुरा नगर इकाई ने बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) राम बदन यादव की आत्मा की शांति हेतु ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।

 

इस अवसर पर प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि प्रो. रामबदन यादव एक अत्यंत ही ईमानदार प्रशासक थे।‌ उनके विचार एवं कार्य हमारे लिए एक आदर्श की तरह है।

 

परिषद् के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सह विश्वविद्यालय प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि प्रो. रामबदन यादव रसायनशास्त्र के बड़े विद्वान थे। वे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष रहे थे। तदुपरांत उन्होंने 17 अक्टूबर, 1992 से 15 दिसंबर, 1994 तक बीएनएमयू के तीसरे कुलपति के रूप में कार्य किया।

 

परिषद् के नगर अध्यक्ष सह विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि प्रो. रामबदन यादव विज्ञान के विद्यार्थी एवं शिक्षक थे। इसके बावजूद उनका धर्म, दर्शन एवं आध्यात्म से गहरा लगाव था।

 

परिषद् के नगर उपाध्यक्ष सह मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि प्रो. रामबदन यादव के निधन से मिथिला एवं कोसी क्षेत्र ने एक बड़े शिक्षाविद् को खो दिया है। इससे शैक्षणिक जगत में जो शून्यता आई है, उसे लंबे समय तक भरना मुश्किल है।

 

सीनेटर रंजन यादव ने कहा कि प्रो. रामबदन यादव आज सशरीर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।

 

कार्यक्रम के अंत में सबों ने दो मिनट का मौन रखकर प्रो. रामबदन यादव की आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की।

‌इस अवसर पर जिला प्रमुख दिलीप कुमार दिल, विभाग संयोजक सौरव कुमार यादव,जिला संयोजक नवनीत सम्राट, नगर मंत्री अंकित आनंद, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमोद आनंद, नीतीश यादव, जिला संगठन मंत्री सुमित कुमार यादव, मौसम कुमार, अभिषेक, अजय, सुधांशु, देवाशीष, शुभम, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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