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BNMU। पूर्व गणतंत्र दिवस परेड शिविर हेतु बीएनएमयू के चार स्वयंसेवक राज्य टीम में चयनित। प्रशिक्षण 22 नवंबर, 2020 को

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पूर्व गणतंत्र दिवस परेड शिविर हेतु बीएनएमयू के चार स्वयंसेवक राज्य टीम में चयनित। प्रशिक्षण रविवार को
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आगामी 25 नवंबर से चार दिसंबर, 2020 तक डाॅ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा (उत्तर प्रदेश) में आयोजित पूर्व गणतंत्र दिवस परेड शिविर में बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के चार स्वयंसेवक (छात्र एवं छात्रा) भाग लेंगे। इनमें एएलवाई काॅलेज, त्रिवेणीगंज, सुपौल के विकास कुमार एवं यूवीके काॅलेज, कड़ामा, मधेपुरा के हरिओम कुमार और एमएलटी काॅलेज, सहरसा की लीली लूशन टोपो एवं आरजेएम काॅलेज, सहरसा की निगम कुमारी शामिल हैं। इनके अलावा आठ स्वयंसेवक (छात्र एवं छात्रा) का नाम प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। इनमें केपी काॅलेज, मुरलीगंज, मधेपुरा के अमित कुमार, स्नातकोत्तर इकाई, बीएनएमयू, मधेपुरा के शांतनु यदुवंशी, एमएलटी काॅलेज, सहरसा के प्रभु कुमार एवं टीपी काॅलेज, मधेपुरा के सोनू कुमार और एमएचएम काॅलेज, सोनवर्षा, सहरसा की कोमल कुमारी, केपी काॅलेज, मुरलीगंज, मधेपुरा की शाहिन, आरजेएम काॅलेज, सहरसा की अंकिता कुमारी एवं एसएनएस महिला काॅलेज, सुपौल की कामिनी कुमारी के नाम शामिल हैं।

राष्ट्रीय सेवा योजना के विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ. अभय कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा इन स्वयंसेवकों (छात्र एवं छात्राओं) को रविवार को मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण करेंगे।

मालूम हो कि विश्वविद्यालय द्वारा बारह स्वयंसेवक (छात्र एवं छात्रा) का चयन कर वरीयताक्रमानुसार राज्य स्तरीय चयन के लिए इनके नामों की अनुशंसा की गई थी। इसके लिए गत 11 नवंबर को विश्वविद्यालय परिसर में चयन शिविर का आयोजन किया गया था। चयन समिति में अध्यक्ष सह प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) आभा सिंह, अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार यादव, कुलसचिव डॉ. कपिल देव प्रसाद, सदस्य-सचिव सह समन्वयक डॉ. अभय कुमार, बीएनमुस्टा के महासचिव प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार, जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. असीम प्रकाश एवं पी. एस. काॅलेज, मधेपुरा की रीता कुमारी शामिल थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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