हिंदी साहित्य भारती” की साप्ताहिक ऑनलाइन ‘राष्ट्रीय लघुकथा-काव्यगोष्ठी’ में हुई इंद्रधनुषी रचनाओं की प्रस्तुति

“हिंदी साहित्य भारती” की साप्ताहिक ऑनलाइन ‘राष्ट्रीय लघुकथा-काव्यगोष्ठी’ में हुई इंद्रधनुषी रचनाओं की प्रस्तुति

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राष्ट्रीय संस्था “हिंदी साहित्य भारती” के तत्वावधान् में गत दिवस साप्ताहिक ऑनलाइन “अखिल भारतीय लघुकथा- काव्यगोष्ठी” का आयोजन किया गया, जिसमें सम्पूर्ण देश से जुड़े प्रख्यात साहित्यकारों, मनीषियों ने राष्ट्रीय भावनाओं से ओत -प्रोत, शृंगार और भक्ति से सराबोर गीतों, कविताओं एवं भावप्रणव लघुकथाओं की प्रस्तुति कर श्रोताओं को रसाभिभूत कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून ने की एवं मुख्यातिथ्य- ‘पद्मश्री’ डॉ विष्णु पांड्या, गुजरात ने किया। संचालन श्रीमती सुनीता पाठक द्वारा किया किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती शोभा दीक्षित, लखनऊ द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण ‘वाणी वंदना’ से हुआ।
कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे देशभर के साहित्य साधकों ने एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने केंद्रीय अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, राष्ट्रीय मीडिया संयोजिका डॉ.रमा सिंह एवं संयोजक मंडल द्वारा इस संस्था के गठन एवं सुसंचालन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “हिंदी साहित्य भारती” ने साहित्यानुरागियों, रचनाधर्मियों एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को एक साथ जोड़कर हिंदी के उन्नयन हेतु महती भूमिका का निर्वहन किया है। आपने कहा, इस मंच से अच्छी एवं उत्कृष्ट रचनाएं पढ़ी गईं। साहित्य की सभी विधाओं में और अधिक कार्य किया जाना आवश्यक है, भाषा ही हमारी संस्कृति एवं संस्कारों को अभिव्यक्त करती है। राष्ट्र की भाषा अभी तक विधिवत् रूप से घोषित नहीं हो सकी। इसके लिए एकजुट होकर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है। राम मंदिर भूमिपूजन पर विचार व्यक्त करते हुए आपने कहा, “यह विगत 500 वर्षों के निरंतर संघर्ष का ही सुपरिणाम है, इसके लिए उन्होंने साधु-संतो एवं मनीषियों को हार्दिक साधुवाद देते हुए दिए गए बलिदानों का स्मरण किया तथा वर्तमान नई पीढ़ी को सौभाग्यशाली माना।

इस अवसर पर आपने बहुत ही हृदयस्पर्शी सुंदर गीत प्रस्तुत करते हुए, “समय शिला पर सूर्य रश्मि से लिखा तुम्हारा नाम, जग कहता धरती की धड़कन हम कहते हैं राम.. वैसे तो हर साल बरसता सावन था, अबकी सावन अमृत कुंभ लेकर आया.. वनवासी बाना उतरेगा राघव का..” भाव विभोर कर दिया।
मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ विष्णु पांड्या ने कहा कि, “स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् आज भी भाषा के लिए पुरुषार्थ की आवश्यकता है, हिंदी ने सांस्कृतिक, राष्ट्रीय एवं सामाजिक चेतना प्रदान की है। बलिदानों की परंपरा हिंदी में ही प्रस्तुत की गई। सामान्य जन जब हिंदी में बोलता है, तो स्वाभिमान जाग्रत होता है। आपने हिंदी के शब्द और भाषा बहुत ही विज्ञ बताया तथा ध्येय वाक्य “संघे शक्ति: कलियुगे” का उद्घोष करते हुए बहुत प्रेरक रचना प्रस्तुत कर रसाभिभूत कर दिया-
“लो एक दिया मेरा भी इस अंधियारे में.. टिमटिमाते तारे और दिए भी ना जाने कितने..अब सूर्यास्त हो गया है और सूर्योदय होने वाला है” आपने कहा, इस मंच पर मैं स्वयं को आनंदित महसूस कर रहा हूँ, जहाँ देश के मूर्धन्य साहित्यकार विद्यमान हैं। हिंदी साहित्य भारती पूरे देश के लिए आशा की किरण है।
गोष्ठी में कवि, कथाकारों ने सुंदर कविताओं, गीतों एवं लघुकथाओं का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया।
कविता भट्ट “शैल पुत्री” गढ़वाल, उत्तराखंड ने “वेदों की ऋचा सा प्रेम है अपना, मधुर ध्वनि में इसको गाना..” सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया।
अगले क्रम में रामलखन शर्मा ग्वालियर ने, “आंच आए आन पर राष्ट्र स्वाभिमान पर, तब नहीं मित्र हमें बुद्ध होना चाहिए।” सुनाकर मंच पर ओज का संचार कर दिया। अनीता मिश्रा “सिद्धि” पटना, बिहार ने लघुकथा “वर्तमान” सुनाकर लॉकडाउन की स्थिति में बाल मन की कोमल भावनाओं का चित्रण किया।
अगले क्रम में चंद्रिका व्यास, मुंबई ने लघुकथा “स्वाभिमान” प्रस्तुत कर विषम परिस्थितियों में भी व्यक्ति के कर्तव्य और स्वाभिमान का महत्व बताया। महेश राजा महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने लघुकथा “ज़िन्दगी” का वाचन कर जीवन का संदेशपरक चित्र खींचा।
डॉ. राजरानी शुक्ला हैदराबाद ने सुन्दर रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ” देखो कैसी निराली है तिरंगे की शान, बढा़ हुआ है आज विश्व में तिरंगे का मान।” सुनाकर राष्ट्रीय भावबोध से भर दिया।
इसी कड़ी में राज टेकड़ीवाल, बेंगलुरु ने देश प्रेम का भाव जगाते हुए, “माँ जब जब पुकारो मैं आ जाऊंगा। कुछ न कर सकूं तो वीरों का सहायक बन जाऊंगा” राष्ट्रभक्ति की धारा प्रवाहित कर दी।
कार्यक्रम बहुत ही गरिमामय रहा।
अंत में, संचालिका सुनीता पाठक ने केंद्रीय अध्यक्ष श्री रवींद्र शुक्ल, मीडिया प्रभारी डॉ रमा सिंह, मंचाध्यक्ष डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विष्णु पांड्या, संयोजन समिति के रामचरण “रुचिर” सहित, साहित्य मनीषियों, श्रोताओं एवं मीडिया संवाददाताओं का आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह, डॉ.केशव शर्मा, रामचरण “रुचिर”, सूरजमल मंगल, वी.पी.सिंह, डॉ.राजेन्द्र शुक्ल, डॉ.लता चौहान, डॉ. कुमुद बाला, डॉ. सुरभि दत्त, डॉ सुखदेव माखीजा, नरेंद्र व्यास, विनोद मिश्रा, वंदना गुप्ता, डॉ वंदना सेन, पुष्पा मिश्रा, जी.एन. द्विवेदी, अशोक गोयल, जगदीश शर्मा, डॉ.जमुना कृष्णराज, डॉ. ज्योति उपाध्याय आदि सहित समूह के सभी सदस्यों ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन का रसास्वादन करते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर कवियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम को बहुत ही सफल एवं सराहनीय बताते हुए सभी ने भूरि- भूरि प्रशंसा की।