प्रभु नारायण मंडल के निधन पर शोक
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प्रोफेसर मंडल एक जानेमाने शिक्षाविद् एवं दार्शनिक थे। उनके निधन से पूरे बिहार और विशेषकर मधेपुरा को अपूर्णीय क्षति हुई है। हमारी इस धरती ने एक विद्वान शिक्षक एवं नेक दिल इंसान को असमय खो दिया। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम किशोर प्रसाद रमण ने कही। वे शुक्रवार को कुलपति कार्यालय कक्ष में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे।
कुलपति ने कहा कि प्रोफेसर मंडल उनके जैसा सहज-सरल एवं नेकदिल इंसान मिलना दुर्लभ है। उनका बीएनएमयू से गहरा लगाव था और वे हमेशा इस विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए योगदान देने को तत्पर रहते थे।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह ने कहा कि प्रोफेसर मंडल आजीवन अध्ययन-अध्यापन के प्रति समर्पित रहे। उनके उनका दशकों पुराना परिचय था और विभिन्न कार्यक्रमों में उनसे वैचारिक चर्चा होती रहती थीं। उनके निधन से दर्शन-जगत को गहरा आघात लगा है और उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी क्षति हुई है।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि उन्होंने प्रोफेसर मंडल के मार्गदर्शन में ही पीएच. डी. की डिग्री प्राप्त की है। साथ ही उनके मार्गदर्शन में कई अकादमिक कार्य किए हैं। वे दर्शन-जगत के उन गिने-चुने लोगों में थे, जिनका भारतीय दर्शन के साथ-साथ पाश्चात्य दर्शन पर भी समान अधिकार था।
अकादमिक निदेशक प्रोफेसर डॉ. एम. आई. रहमान ने बताया कि उन्हें कई बार प्रोफेसर मंडल का व्याख्यान सुनने को मिला। उनकी वक्तृत्वशैली प्रभावोत्पादक थी। वे तर्कपूर्ण एवं सिलसिलेवार ढंग से बोलते थे, जिसका श्रोताओं पर गहरा असर होता है।
सीसीडीसी डाॅ. इम्तियाज अंजूम ने कहा कि प्रोफेसर मंडल ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष सहित कई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
इस अवसर पर महाविद्यालय निरीक्षक विज्ञान डाॅ. उदयकृष्ण, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, शोधार्थी सौरभ कुमार, राजेश कुमार, रूपेश कुमार आदि उपस्थित थे। सबों ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वे प्रभु नारायण मंडल की आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिजनों, शिष्यों, मित्रों एवं शुभचिंतकों को इस अपार दुख को सहने की क्षमता दें।