Jharkhand आदिवासी कवयित्री वंदना टेटे को हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ‘पोएट्री एंड पेंट नाइट’ के कार्यक्रम में काव्यपाठ के लिए आमंत्रण

रांची, झारखंड की आदिवासी कवयित्री वंदना टेटे को हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने ‘पोएट्री एंड पेंट नाइट’ के कार्यक्रम में काव्यपाठ के लिए आमंत्रित किया है। इस अंतरराष्ट्रीय काव्यपाठ का आयोजन 30 अप्रैल 2021 को भारतीय समयानुसार रात 10.30 से 11.30 बजे तक होगा। गूगल मीट द्वारा वर्चुअल आयोजित हो रहे इस काव्यपाठ में वंदना टेटे के अतिरिक्त और दो महिला कवियों को आमंत्रित किया गया है। जिनमें से एक दक्षिण भारत (चेन्नई) की दलित कवयित्री मीना कंडासामी हैं और दूसरी ढाका (बांग्लादेश) मूल की अल्पसंख्यक कवयित्री दिलरूबा अहमद हैं जो अमेरिका में बस गयी हैं। ‘पोएट्री एंड पेंट नाइट’ काव्यपाठ का आयोजन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हार्वर्ड साउथ एशियन एसोसिएशन द्वारा किया जा रहा है। निखिल धर्मराज और सियोना प्रसाद इसके संयोजक हैं।

हार्वर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर आदिवासी कविता की यह पहली उपस्थिति होगी जिसे झारखंड की वंदना टेटे प्रस्तुत करेंगी। तीस साल से अधिक समय से कविता और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय वंदना टेटे का अब तक एक कविता संकलन ‘कोनजोगा’ प्रकाशित है। लेकिन आदिवासी दर्शन, सौंदर्यशास्त्र और आलोचनात्मक साहित्य पर उनकी कई किताबें प्रकाशित हैं। अभी इसी फरवरी में उनकी सबसे नई किताब ‘ऑरेचर की पत्थरगड़ी और आदिवासियत’ अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्थान नोशन प्रेस से छपी है। पिछले 16 वर्षों वे बहुभाषायी त्रैमासिक पत्रिका ‘झारखंडी भाषा साहित्य अखड़ा’ निकाल रही हैं तथा ‘अखड़ा संगठन’ की महासचिव हैं। वे बाल पत्रिका ‘पतंग’, सामाजिक पत्रिका ‘समकालीन ताना-बाना’ और खड़िया भाषा की मासिक पत्रिका ‘सोरिनानिङ’ का प्रकाशन-संपादन तथा झारखंड आंदोलन की पत्रिका ‘समकालीन झारखंड खबर’ की उप-संपादक भी रही हैं। आदिवासी पत्रकारिता के लिए उन्हें झारखंड सरकार का सम्मान, आदिवासी महिला लेखन पर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सीनियर फेलोशिप और पिछले साल झारखंड का प्रतिष्ठित महिला कवयित्री पुरस्कार ‘शैलप्रिया स्मृति सम्मान’ मिल चुका है। देश के जाने-माने साहित्यिक आलोचक और झारखंड आंदोलनकारी डॉ. वीर भारत तलवार ने भी इन्हें गत वर्ष दो लाख रुपये देकर सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न संस्थानों ने भी वंदना टेटे को समय-समय पर उनके लेखन और एक्टिविज्म के लिए सम्मानित किया है।

वंदना टेटे की प्रकाशित पुस्तकें: पुरखा लड़ाके (2005), किसका राज है (2009), झारखंड एक अंतहीन समरगाथा (2010), असुर सिरिंग (सुषमा असुर के साथ, 2010), पुरखा झारखंडी साहित्यकार और नये साक्षात्कार’ (2012), आदिम राग (2013), आदिवासी साहित्यः परंपरा और प्रयोजन (2013), आदिवासी दर्शन कथाएं (2014), कोनजोगा (2015), एलिस एक्का की कहानियां (2015), आदिवासी दर्शन और साहित्य (2015) वाचिकता: आदिवासी साहित्य एवं सौंदर्यबोध (2016), लोकप्रिय आदिवासी कहानियां (2016), लोकप्रिय आदिवासी कविताएं (2016), प्रलाप (1935 में प्रकाशित भारत की पहली हिंदी आदिवासी कवयित्री सुशीला सामद का प्रथम काव्य संकलन, 2017), हिंदी की आरंभिक आदिवासी कहानियां (2020) और ऑरेचर की पत्थरगड़ी और आदिवासियत (2021)।

केएम सिंह मुंडा
प्रवक्ता
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा


Jharkhandi Bhasha Sahitya Sanskriti Akhra
Cheshire Home Road, Bariatu, Ranchi-834 009
Jharkhand INDIA
Tel.: +91-9234678580, 9262975571
Telefax : +91-651-22201261
www.akhra.org.in

Home