BNMU। शैक्षणिक उन्नयन हेतु नववर्ष में कई महत्वपूर्ण कदम

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के शैक्षणिक उन्नयन हेतु नववर्ष में कई महत्वपूर्ण काम होने की संभावना है। कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण ने नैक मूल्याकंन को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए शैक्षणिक उन्नति पर जोर दिया है। कुलपति के निदेशों के आलोक में अकादमिक निदेशक प्रोफेसर डॉ. एम. आई. रहमान और उप कुलसचिव अकादमिक डाॅ. सुधांशु शेखर शैक्षणिक योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे हैं। गत दिनों प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह की अध्यक्षता में आयोजित विद्वत् परिषद् की बैठक में इस संबंध में कई आवश्यक निर्णय लिए गए थे, जिसे अभिषद् की भी मंजूरी मिल गई है।

विश्वविद्यालय में स्नातकोेत्तर स्तर पर संगीत, बंगाली, प्राचीन भारतीय इतिहास, ग्रामीण अर्थशास्त्र, मानवशास्त्र, आई. आर. पी. एम. एवं भूगर्भशास्त्र आदि की पढ़ाई शुरू करने की दिशा में लगातार प्रयास चल रहा है। वर्तमान कुलपति डाॅ. आर. के. पी. रमण इसमें व्यक्तिगत रूचि ले रहे हैं। कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय के पत्रांक- भीसीओ- 060/20, दिनांक-25. 09. 2020 के द्वारा विषयांकित प्रस्ताव से संबंधित एक पत्र राज्यपाल सचिवालय को प्रेषित किया गया, जिस पर राज्यपाल सचिवालय द्वारा संज्ञान लेते हुए दिनांक-14.10. 2020 को विशेष सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना को नियमानुसार कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। यह सदन के लिए एक महत्त्वपूर्ण सूचना है।

विश्वविद्यालय में आने वाले दिनों में कई नए रोजगारपरकू कोर्स शुरू होने की संभावना है। पूर्व निर्णय के आलोक में एम. बी. ए. एवं एम. सी. ए. की पढ़ाई शुरू करने की दिशा में त्वरित कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई करने हेतु पूर्व निर्णय के आलोक में नियम-परिनियम एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति के गठन हेतु सर्वसम्मति से कुलपति को अधिकृत किया गया है। कुलपति ही विश्वविद्यालय में पी. जी. डिप्लोमा इन हाउसिंग सेक्टर एण्ड अर्बन डेवलपमेंट स्टडीज की पढ़ाई शुरू किए जाने हेतु भी अधिकृत किए गए हैं।

पी. जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एण्ड मास कम्यूनिकेशन, पी. जी. डिप्लोमा इन योग थेरेपी, पी. जी. डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेन्ट तथा पी. जी. डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेन्ट की पढ़ाई क्रमशः विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग, विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग एवं विश्वविद्यालय भूगोल विभाग के अन्तर्गत शुरू किया जाना है। इस संबंध में संबंधित विभागों से पाठ्यक्रम, नामांकन अध्यादेश एवं परीक्षा विनियम आदि को अंतिम रूप देने हेतु एक समिति गठित करने का प्रस्ताव अपेक्षित है।

लेकिन अब तक मात्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग द्वारा विधिवत समिति गठित कर पी. जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एण्ड मास कम्यूनिकेशन का पाठ्यक्रम, नामांकन अध्यादेश एवं परीक्षा विनियम उपलब्ध कराया गया है। अतः यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी विभाग के अतिरिक्त अन्य तीनों विभागों को पत्र प्रेषित कर अविलम्ब अग्रेत्तर कार्यार्थ स्मारित किया जाए।

आर. एम. काॅलेज, सहरसा द्वारा महाविद्यालय में भूगोल, समाजशास्त्र, हिन्दी एवं वाणिज्य विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू किए जाने के संबंध में नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

एस. एन. एस. आर. के. एस. काॅलेज, सहरसा ने कहा कि उनके महाविद्यालय में पूर्व में प्राचीन भारतीय इतिहास, मनोविज्ञान, भूर्गभशास्त्र, मानवशास्त्र, ग्रामीण अर्थशास्त्र आदि विषयों की पढ़ाई होती थीं, जो किन्ही कारणों पढ़ाई बंद कर दी गईं। इन विषयों में पुनः स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई शुरू करने हेतु नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

विश्वविद्यालय में यहाँ के विद्यार्थियों को अध्ययन का और अधिक अवसर देने हेतु स्नातकोत्तर के साथ-साथ स्नातक स्तर पर भी सीट वृद्धि की आवश्यकता है। गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि पूरे मामले के सभी पहलुओं के सम्यक् अध्ययन हेतु एक समिति का गठन किया जाए और इस समिति की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार को सीट वृद्धि का प्रस्ताव भेजा जाए।

पूर्व में गठित ऑनलाइन एजुकेशन मोंनिटरिंग कमिटी के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया है। स्नातकोत्तर विभागों में ऑनलाईन क्लास के सुचारू संचालन हेतु स्मार्ट क्लास रूम बनाने पर विचार।

सभी महाविद्यालयों की दो कोटियों (अंगीभूत एवं सम्बद्ध) को स्वीकार किया गया। यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय स्तर से सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए एकसमान तथा सभी संबंधन प्राप्त महाविद्यालयों के लिए एक समान विकास शुल्क निर्धारित किया जाए।

विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों एवं सभी संकायाध्यक्षों को पत्र प्रेषित कर 11 जनवरी, 2021 तक विभागीय शोध परिषद् (डीआरसी) की बैठक सम्पन्न कराकर आगामी स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (पीजीआरसी) हेतु प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया जा चुका है। 11 जनवरी, 2021 के बाद यथाशीध्र पीजीआरसी के बैठक की तिथि निर्धारण पर अपेक्षित कार्रवाई हेतु आकादमी शाखा को अधिकृत किया गया है। इससे शोधार्थियों को शोध का अवसर मिलेगा।

सर्वसम्मति से पीएच.डी. नामांकन परीक्षा-2020 (पीएटी- 2020) का आयोजन जल्द से जल्द किए जाने की जरूरत बताई गई है।

शिक्षाशास्त्र में पीएच. डी. कोर्स शुरू किए जाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। विद्वत परिषद् के अधिकांश सदस्यों ने यह माना कि शिक्षाशास्त्र के पीएच. डी. कोर्स शुरू करने से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का अवसर मिलेगा और यह कदम यहाँं के विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने के भी सहायक होगा।

लेकिन चर्चा-परिचर्चा में यह बात स्पष्ट हुई कि नियमित एवं स्थाई शिक्षक ही पीएच. डी. शोध कार्य के लिए शोध निदेशक बन सकते हैं। चँकि इस विश्वविद्यालय अन्तर्गत् राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, सहरसा को छोड़कर अन्य सभी महाविद्यालयों एवं मुख्यालय स्थित शिक्षाशास्त्र विभाग में बी. एड./एम. एड. स्ववित्तपोषित योजनान्तर्गत संचालित है। स्ववित्तपोषित कोर्साें के लिए कोई भी पद सृजित नहीं है। अतः शिक्षाशास्त्र में पीएच. डी. कोर्स शुरू करने हेतु शोध निर्देशक एवं अन्य आवश्यक आवश्यकताओं की उपलब्धता की संभावनाओं पर विचार-विमर्श कर रिपोर्ट देने हेतु पर एक समिति गठित किए जाने का निर्णय लिया गया और इस हेतु माननीय कुलपति महोदय को अधिकृत किया गया है।

चर्चा-परिचर्चा के क्रम में उपकुलसचिव (शैक्षणिक) डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा पीएच. डी. शोधार्थियों को जारी किए जा रहे पंजीयन प्रपत्र पर सिर्फ पंजीयन की तिथि अंकित रहती है और पीएच. डी. पंजीयन संख्या अंकित नहीं रहती है। इस कारण सहायक प्राचार्य के पदों पर आवेदन करने एवं विभिन्न फेलोशिप आदि के लिए आवेदन करने में भी कठिनाइयाँ हो रही हैं। उन्होंने बताया कि तिलकामाॅँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर एवं अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा पीएच. डी. पंजीयन प्रपत्र पर पीएच. डी. तिथि एवं पीएच. डी. पंजीयन संख्या अंकित की जाती है। इसका कई अन्य सदस्यों ने समर्थन किया, लेकिन कुछ सदस्यों ने कहा कि विश्वविद्यालय की पंजीयन संख्या ही पर्याप्त है। अलग से पीएच. डी. पंजीयन संख्या जारी करने की जरूरत नहीं है। अंततः सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि इस मामले का गहन अध्ययन कर समुचित सुझाव देने हेतु एक समिति का गठन किया जाए और इसके लिए माननीय कुलपति महोदय को अधिकृत किया गया है।