BNMU। मीडिया रिपोर्ट। विद्वत परिषद् की बैठक

नैक मूल्याकंन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए नैक मूल्याकंन जरूरी है। हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम इस कार्य को सकारात्मक रूप से लें।

यह बात प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह ने कहीं। वे बुधवार को विद्वत परिषद् की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।उन्होंने कहा कि हम कम संसाधनों में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हमें विद्यार्थियों की पठन-पाठन में रूचि जगाएं। साथ ही अपना भी एकेडमिक इन्हांसमेंट करें। यह नैक मूल्याकंन के लिए भी जरूरी है। शिक्षकों का रिसर्च ऑरिएंटेशन एवं पब्लिकेशन नैक के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में संसाधनों की कमी है। लेकिन इसके बावजूद हम सभी को मिलकर बेहतर प्रदर्शन करना है। हम सबों को अपने-अपने स्वधर्म का पालन करना है। यदि हम नैक मूल्याकंन करा लेंगे, तो संसाधनों की कमी भी दूर हो जाएगी।

बैठक में अन्यान्य सहित तेईस मुद्दों पर चर्चा हुई और आवश्यक निर्णय लिए गए।

इसमें सर्वप्रथम गत बैठक (31 जनवरी, 2020) की कार्यवाही की सम्पुष्टि की गई। तदुपरांत अनुपालन प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया।

बैठक में संबंधन एवं नवशिक्षण कार्यक्रम समिति की बैठक में लिए गए निर्णय को अनुमोदन प्रदान किया गया। यूजीसी शोध अधिनियम-2009 से संबंधित पाँच बिन्दु प्रमाण-पत्र निर्गमन की सभी प्रक्रियाओं को घटनोत्तर अनुमोदन दिया गया। इसके सफल संचालन की सराहना की गई। वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर शोधार्थियों को शोध-प्रबंध जमा करने हेतु छ: (6) माह का अतिरिक्त समय दिए जाने संबंधी निर्णय का घटनोत्तर अनुमोदन किया गया। आगामी डीआरसी एवं पीजीआरसी की तिथि निर्धारित करने पर विचार किया गया। सभी विभागाध्यक्षों को डीआरसी कराकर ग्यारह जनवरी तक प्रस्ताव भेजने से संबंधित पत्र भेजा गया है। पी-एच. डी. नामांकन परीक्षा पीएटी-2020 शीघ्र आयोजित की जाएगी। शिक्षाशास्त्र विभाग में पी.एच.डी. कोर्स शुरू करने पर विचार किया गया। विश्वविद्यालय के पी-एच. डी. शोधार्थियों के पी-एच. डी. पंजीयन प्रपत्र पर पंजीयन तिथि के साथ पंजीयन संख्या भी अंकित करने के संबंध में निर्णय हेतु एक समिति बनाई जाएगी।

विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर संस्कृत, मैथिली, संगीत, बंगाली, प्राचीन इतिहास, ग्रामीण अर्थशास्त्र, मानवशास्त्र, आईआरपीएम, भूगर्भशास्त्र आदि की पढ़ाई शुरू करने के प्रयासों को गति प्रदान करने का निर्णय लिया गया।

विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने हेतु लिए गए पूर्व के निर्णय के आलोक में नियम-परिनियम एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति के गठन किया जाएगा। विश्वविद्यालय में पीजी डिप्लोमा इन हाउसिंग सेक्टर एंड अर्बन डेवलपमेंट स्टडीज की पढ़ाई शुरू करने हेतु आवश्यक निर्णय के लिए कुलपति को अधिकृत किया गया।

विश्वविद्यालय के विभिन्न स्नाकोत्तर विभागों और स्नातक कक्षाओं में नामांकन हेतु निर्धारित सीटों की वृद्धि के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया जाएगा।

ऑनलाइन एजुकेशन/ऑनलाइन इन्टेक्टिव क्लास के संबंध में राजभवन सचिवालय से प्राप्त विभिन्न निर्देशों के समुचित अनुपालन हेतु ऑनलाइन एजूकेशन मानिटरिंग कमिटी का पुनर्गठन किया जाएगा। स्नाकोत्तर विभागों में ऑनलाइन क्लास के सुचारू संचालन हेतु स्मार्ट क्लास रूम बनाया जाएगा।

सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों में स्नातक नामांकन हेतु निर्धारित विकास शुक्ल में एकरूपता लाने पर नियमानुसार निर्णय लिया जाएगा। विश्वविद्यालय से दो त्रैमासिक रिसर्च जर्नल (एक विज्ञान एवं एक कला) का प्रकाशन किया जाएगा।

राजभवन सचिवालय के निदेशों के आलोक में विश्वविद्यालय प्रोस्पेक्टस/हेंडबुक के निर्माण हेतु विश्वविद्यालय स्तर पर नई कमिटी के गठन किया जाएगा।

नैक मूल्यांकन को गति देने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाया जाएगा।बैठक में विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. अशोक कुमार यादव, डाॅ. उषा सिन्हा, डाॅ. लम्बोदर झा, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, उप कुलसचिव अकादमिक डाॅ. सुधांशु शेखर, डाॅ. के पी यादव, डाॅ. राजीव सिन्हा, डाॅ. अरूण खा, डाॅ. अशोक कुमार, डाॅ. माधवेन्द्र झा, डाॅ. रीता सिंह, डाॅ. रेणु सिंह, डाॅ. सुभाष प्रसाद सिंह, प्रज्ञा प्रसाद, डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव, डाॅ. अरूण कुमार, डॉ. डी.एन. साह, डॉ. जयदेव प्रसाद यादव , डॉ. डी. एन. झा, डॉ. भावानंद झा, डॉ. बी. एन. यादव, डॉ. अर्जुन प्रसाद यादव आदि उपस्थित थे।