Ambedkar। केवल दलितों के नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के नेता थे डॉ. अंबेडकर : डॉ. जयप्रकाश कर्दम

केवल दलितों के नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के नेता थे डॉ. अंबेडकर : डॉ. जयप्रकाश कर्दम

डॉ. अंबेडकर एक महान राष्ट्रवादी, सिद्धांतवादी, यथार्थवादी, अहिंसावादी, लोकतंत्रवादी, समन्वयवादी विचारक थे। दुनिया के मानवतावादी राजनीतिज्ञों में उनका नाम हमेशा अग्रणी रहेगा। वे केवल दलितों के नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के नेता थे और उन्होंने पूरी मानवता के उत्थान के लिए काम किया।

यह बात सुप्रसिद्ध साहित्यकार लेखक एवं विचारक डॉ. जयप्रकाश कर्दम (न‌ई दिल्ली) ने कही। वे बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला में डॉ. अंबेडकर का राजनीतिक दर्शन विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने सिद्धांत की राजनीति की और कभी भी अपने मूल सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। लेकिन वे मध्यममार्गी एवं समन्वयवादी थे और उनका अतिवाद एवं हठवाद में विश्वास नहीं था। वे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते थे। वे अत्यंत ही स्वाभिमानी थे, लेकिन जरूरत पड़ने पर देश के व्यापक हित में झुक भी जाते थे। पूना पैक्ट इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। जहां महात्मा गांधी की जान बचाने के लिए उन्होंने दलितों को पृथक निर्वाचन की मांग छोड़ दी और आरक्षण व्यवस्था को स्वीकार कर लिया।

उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर एक आदर्श राजनीतिज्ञ थे और वे हमेशा जनता से जुड़े हुए रहते थे। उन्होंने मूल्य आधारित राजनीति की कभी भी अनुचित साधन का उपयोग नहीं किया। वे जनता की चेतना को जगाना चाहते थे। उन्होंने जनता को कोई झूठे सपने नहीं दिखाए। उन्होंने जनता से उतना ही कहा, जो कर सकते थे और जो कहा, वह किया। उनकी कथनी एवं करनी में समानता थी।

उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर सच्चे राष्ट्रवादी थे। डॉ. अंबेडकर ने कहा है कि वे पहले भारतीय हैं, मध्य में भी भारतीय हैं और अंत में भी भारतीय हैं।

उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक स्वतंत्रता के समर्थक समर्थक थे। उनका मानना था कि यदि हम राष्ट्र के रूप में देश के रूप में स्वतंत्र हो जाते हैं और व्यक्ति स्वतंत्र नहीं होता है, तो स्वतंत्रता अस्थाई नहीं होगी। सामाजिक जनतंत्र के बगैर राजनीतिक लोकतंत्र महज दिखावा है।

उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर एक मानववादी विचारक थे‌। उनकी स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता में गहरी आस्था थी। उन्होंने ना केवल दलितों, बल्कि पूरे देश के हित में काम किया। डॉ. अंबेडकर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत एक श्रमिक नेता के रूप में की। उन्होंने श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए जागृत किया। उन्होंने महिलाओं को अधिकार समान अधिकार दिलाने के लिए हिंदू कोड बिल बनाया और इसे मंत्रिमंडल का समर्थन नहीं मिलने के कारण कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

 

उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ थे। कोई सी भी चाहते थे कि भारत-पाक का विभाजन नहीं हो। लेकिन उनका मानना था कि यदि आप विभाजन हो तो ठीक ठीक तरीके से हो। आगे के लिए कोई विवाद नहीं छोड़ा जाए।