Language। शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है मातृभाषा। पूरब की भाषाओं में समता के आधार पर मैथिली एकात्मता की कड़ी।

शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है मातृभाषा. : डॉ. अरुणाभ सौरभ। पूरब की भाषाओं में समता के आधार पर मैथिली एकात्मता की कड़ी।

शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम मातृभाषा ही हो सकती है। जितनी सरलता एवं स्वाभाविकता से बालक मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करता है किसी अन्य भाषा माध्यम से नहीं।

यह बात क्षेत्रीय क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र, एनसीईटी, भोपाल में सहायक प्राध्यापक एवं चर्चित कवि डॉ. अरुणाभ सौरभ ने कही।

वह बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला में पूर्वी भाषाओं की सांस्कृतिक एकता में मैथिली की भूमिका विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता के पास अपनी भाषाओं की ताकत है, जो उसे विशिष्ट बनाती है। भारतीय संस्कृति पूरब की संस्कृति है पूर्वी भाषाओं में प्रवेश करने का द्वार मैथिली है। मैथिली की भाषिक संरचना पर विचार करके मैथिली के प्रति उदार दृष्टि रखकर पूर्वी भाषाओं की ताकत को समझने में आसानी होगी।

उन्होंने कहा कि भाषाई संस्कृति के विकास को समझना जरूरी है। आज भाषा की जड़ता तोड़कर एकात्मता का सूत्र ग्रहण कर आगे बढ़ने की जरूरत है। अन्यथा सारी भाषाओं के साथ हिंदी का भी नुकसान ही होगा ।

उन्होंने कहा कि हिंदी का प्रचार-प्रसार छोटी-छोटी भाषाओं को समाप्त कर संभव नहीं है।  हिंदी को देश की संपर्क की सबसे बड़ी भाषा होने का गौरव कोई नहीं छीन सकता, छीन पाना असंभव है। इसलिए हिंदी को सहजता के साथ आगे बढ़ने दीजिए। सभी भाषाओं के बीच हिंदी संवाद का व्यापक बन सकती है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी भाषाओं में एकात्मता हेतु प्रवेश द्वार के रूप में मैथिली विचार-बिनिमय में और अध्यापक प्रशिक्षण की भाषा के रूप में पूरब की भाषाओं में समता के आधार पर मैथिली एकात्मता में एक कड़ी सिद्ध हो सकती है।

उन्होंने कहा कि सर्जनात्मक संवाद और लोक ज्ञान परंपरा के विकास में सहायता के लिए मैथिली, हिंदी और बांग्ला दोनों से निकटता, उड़िया,असमिया और नेपाली से निकटता के कारण हिंदी भाषियों को सरलता और सुगमता से कई-कई भाषाओं में प्रवेश कराने हेतु मैथिली का शिक्षण आवश्यक है। माध्यमिक स्तर तक मैथिली की अनिवार्य पढ़ाई मातृभाषा के रूप में और माध्यम भाषा के रूप में कक्षा 1 से 8 तक मैथिली माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था से भाषा विकास में बल मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि बुनियादी शिक्षा के रूप में प्राथमिक स्तर से माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक मैथिली की पढ़ाई से न सिर्फ़ इस भाषा का विकास होगा। साथ ही मैथिली सीख लेने के बाद बच्चों को सभी पूर्वी भाषाएँ आसानी से समझ में आएंगी। इससे भाषाई राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा।