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BNMU। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में संविधान दिवस पर संकल्प सभा का आयोजन

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राष्ट्रीय सेवा योजना, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में गुरूवार को संविधान दिवस पर संकल्प सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है और प्रस्तावना संविधान की आत्मा है। हम सबों को अपने संविधान में निहित प्रावधानों के अनुरूप आचरण करना चाहिए। संविधान के अनुरूप कार्य करके ही हम अपने समाज एवं राष्ट्र का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।

एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने कहा कि भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष संविधान दिवस मनाने का निर्णय काफी सराहनीय है। अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से समतामूलक समाज के निर्माण का माॅडल प्रस्तुत किया है। हम सबों को मिलकर डा अंबेडकर के विचारों एवं कार्यों को आगे बढ़ाना है। हम सबों को संविधान का गहन अध्ययन करना चाहिए और इसमें निहित बातों को जीवन में उतारना चाहिए।

बीएनएमयू सीनेट एवं सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान ने कहा कि 1949 में आज ही के दिन बाबा साहेब डा आंबेडकर ने राष्ट्र को वह महान संविधान सौपा था। डा अंबेडकर ने कहा था कि 26 जनवरी, 1949 को हम राजनीतिक रूप से समान किन्तु आर्थिक और सामाजिक रूप से असमान होंगे। जितना शीघ्र हो सके, हमें यह भेदभाव और पृथकता दूर कर लेनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो जो लोग इस भेदभाव के शिकार हैं, वे राजनीतिक लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा देंगे, जिसे इस संविधान निर्मात्री सभा ने इतनी मेहनत से बनाया है। हमने डा आंबेडकर की उस ऐतिहासिक चेतावनी की प्रायः पूरी तरह अनेदखी कर दिया। इसके कारण आर्थिक एवं सामाजिक गैर-बराबरी आज भारत में कायम हो गया है।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा कि संविधान में सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता का अधिकार दिया गया है। हमें इस आदर्श को व्यवहार में बदलने की जरूरत है। इसके लिए संविधान को लागू करने वाले लोगों को नैतिकवान होना होगा। डाॅ. अंबेडकर ने स्वयं कहा है कि संविधान चाहे कितना ही अच्छा क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वाले अच्छे नहीं होंगे, तो संविधान की अच्छी किसी काम की नहीं रहेगी।

इस अवसर पर कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, अमित कुमार गौतम, धर्मेन्द्र सिंह, दीलिप कुमार दिल, मणिष कुमार, ज्योतिष कुमार आदि उपस्थित थे।

उपस्थित जनसमूह ने संविधान की रक्षा का शपथ ली और सबों ने मिलकर संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया। “हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में …. इस संविकको अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

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