शोध समस्याओं के चयन में बरतें सतर्कता : डॉ. एम. आई. रहमान

जब हम दो या दो से अधिक चरों के बीच संभावित संबंधों के बारे में बनाए गए जांच योग कथन का वर्णन करते हैं, तो वही परिकल्पना कहलाती है। शोधार्थी शोध समस्या के चयन के बाद परिकल्पना का प्रतिपादन करता है। परिकल्पना का कार्य सिद्धांतों की जांच करना नए सिद्धांतों का निष्पादन करना और किसी घटना का वर्णन करना है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के मनोविज्ञान विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर एवं अकादमिक निदेशक डाॅ. एम. आई. रहमान ने कही। वे स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा आयोजित ऑनलाइन इंटरएक्टिव क्लास में बोल रहे थे। इसका टाॅपिक क्राइटेरिया फाॅर ए गुड रिसर्च प्रॉब्लम था। इसमें कुल 29 शोधार्थी के साथ-साथ कई शिक्षकों ने भी भाग लिया।

उन्होंने कहा कि हमें वैसी शोध समस्या का चयन करना चाहिए, जो समाजोपयोगी हो और जिसमें हमारी रूचि हो। शोधार्थी की रूचि शोध के लिए आवश्यक होती है। यदि शोध समस्या रुचिकर नहीं होगी, तो शोधार्थी उस पर पर्याप्त ध्यान नहीं देंगे और फिर शोध में सफलता पाना मुश्किल हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि कुछ परिकल्पना विशिष्ट उद्देश्य के आधार पर बनाई जाती हैपरिकल्पनाएं कई प्रकार की होती हैं। इनमें साधारण कल्पना, जटिल परिकल्पना, सार्वत्रिक परिकल्पना, अस्तित्वपरक परिकल्पना, विशिष्ट परिकल्पना, वर्णनात्मक परिकल्पना, कार्यरूप परिकल्पना, नल परिकल्पना सांख्यिकी परिकल्पना आदि मुख्य हैं।

उन्होंने बताया कि शोध समस्या तर्क पर आधारित होनी चाहिए। समस्या का उद्देश्य, उसका अर्थ एवं उसकी उपयोगिता बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए। हमें वैसी समस्या का चयन नहीं करना चाहिए, जिसमें शोध करने पर कठिनाइयों का सामना करना पड़े और जिसमें अत्यधिक खर्च हो। ऐकेडमिक शोध के लिए समय सीमा निर्धारित होती है, इसलिए शोध समस्या ऐसी हो, जिसका समाधान निर्धारित समय में हो सके।

उन्होंने बताया कि शोध किसी घटना का वर्णन, व्याख्या, भविष्यवाणी एवं नियंत्रण के लिए एक व्यवस्थित जाँच है।
शोध के कई प्रकार होते हैं। इन प्रकारों का उपयोग उस समय की माँग के अनुसार किया जाता है। जिस प्रकार का शोध होगी, उसी प्रकार की प्रणाली का उपयोग आवश्यक माना जाता है।

उन्होंने बताया कि समस्या को बनाते समय शोध से संबंधित एक्सपर्ट की सहायता आवश्यक होती है। शोध समस्या प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों का भी जिक्र किया और इस बात पर बल दिया कि स्रोत समस्या सामायिक होना चाहिए।

ज्ञातव्य हो कि पटना विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. रहमान से रिसर्च मेथाडोलॉजी की पाँच कक्षाएँ संचालन करने का अनुरोध किया गया था। वर्ग संचालन 2-4 बजे तक गूगल मीट के माध्यम से संचालित किया जाता है। अन्य विद्यार्थी इस कक्षा में यू-ट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद के माध्यम से भाग ले सकते हैं।

पटना विश्वविद्यालय, पटना के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर इश्तेहार हुसैन ने इस कक्षा की काफी सराहना की। इंटरएक्टिव क्लास में भाग ले रहे शोधार्थियों ने व्याख्यान के अंत में अपनी जिज्ञासा है एवं प्रश्नों को डॉ. रहमान के समक्ष रखा। डॉ. रहमान ने उनका समुचित उत्तर दिया, जिससे सभी प्रतिभागी संतुष्ट हुए।