Bihar बिहारी युवा मूर्तिकार मधुरेन्द्र कुमार/रेत पर कलाकृतियों को उकेर दुनिया को देते नया संदेश

बिहारी युवा मूर्तिकार मधुरेन्द्र कुमार/रेत पर कलाकृतियों को उकेर दुनिया को देते नया संदेश

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके 26 वर्षीय युवा मधुरेन्द्र कुमार को कलाकारी का शौक बचपन से ही रहा, उस वक्त स्लेट पर पेंसिल से चित्रकारी करते थे। अब नदी और समुद्र तटीय रेत को कैनवास बनाकर एक रेत कलाकार के रूप में प्रसिद्ध है। अभावग्रस्त जीवन से जूझते रहने के बावजूद अपनी कठिन मेहनत और प्रतिभा से कला के क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयों को चूमते हुए आ रहे हैं। इनमें त्याग और समर्पण भाव इतना है कि दिन-रात कठिन परिश्रम कर कला साधना में लीन रहतें है। अपनी बेमिसाल कलाकारी का बेहतरीन नमूना पेश कर आये दिन देश-दुनियां को नया पैगाम देते हैं। देश-विदेश के विभिन्न शहरों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। मधुरेंद्र कुमार बिना किसी गुरु से शिक्षा लिये अपनी कला को कागज और रेत पर उकेरते है।

मधुरेन्द्र कुमार का जन्म 5 सितंबर 1994 को इनके ननिहाल पूर्वी चंपारण जिले के बरवाकला गांव में हुआ था। इनका पैतृक घर पूर्वी चंपारण जिला अन्तर्गत बनकटवा प्रखंड के बिजबनी दक्षिणी गांव में है। इनके पिता शिव कुमार साह एक किसान है। इनकी माता गेना देवी और धर्मपत्नी दीपिका गुप्ता गृहिणी है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, बिहार से स्नातक और प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से डिप्लोमा इन फाइन आर्ट्स की डिग्री प्राप्त किये।मधुरेन्द्र अपनी रेत कला के माध्यम से समाज को संदेश देते रहते हैं। रोड पर फेंके हुए कचरे से उत्पन्न दुष्प्रभाव व गुटखों के रैपर से अपनी कलाकृतियां बनाकर लोगों को नशीले चीजों के सेवन से बचने का संदेश देतें हैं। बालू पर महापुरुषों की जयंती से लेकर श्रंद्धाजलि तक, देश-दुनिया की धरोहर और विरासतों की आकर्षक आकृति, देवी-देवताओं की प्रतिमा, मानव स्वाथ्य, नशा का दुष्प्रभाव, मधनिषेध, धूम्रपान निषेध, बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ, नारी उत्पीड़न, मजबूर-बेबस, हिंसा, शोषण, बाल मजदूर, भ्रूण हत्या, जल संरक्षण, जल, वायु और मृदा प्रदूषण, पशु-पंछी संरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण, प्रकृति आपदा व आतंकवाद आदि जैसे कुरीतियों तथा कई जवलंत विषयों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर समाज को नया संदेश देते हैं। और लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों को बचाने के लिए विश्व शांति, ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद, एचआईवी एड्स पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सामाजिक जागरूकता पैदा कर रहा है। रेत कला के जनक माने जाने वाले सुदर्शन पटनायक भी मधुरेन्द्र कुमार की प्रशंसा करते हैं।वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के समय बिहार के चंपारण स्थित गांधी संग्रहालय परिसर में मधुरेन्द्र ने 20 फिट ऊँची और 30 फिट लंबी कलाकृति बनायीं। मधुरेन्द्र अपनी रेत कला के माध्यम से महात्मा गांधी, भारत मां, संसद व राष्ट्रीय ध्वज को एक साथ लेकर चम्पारण सत्याग्रह की यादें ताजा कर दी थी। श्रीलंका, यूएसए, भूटान, रूस, जापान तथा थाईलैंड शार्क देशों के बीच ओड़िसा के कोणार्क में स्थित चंद्रभागा तट पर आयोजित अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2019 में मधुरेन्द्र कुमार ने भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया था। 2012 में मधुरेन्द्र द्वारा बनायीं गयी “भारत मे विज्ञान के योगदान” पर आधारित कलाकृति को देख पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने प्रशंसा की थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बड़े-बड़े राजनेताओं ने भी मधुरेन्द्र की कलाकृति को काफी पसंद किया हैं। ओड़िसा के कोणार्क फेस्टिवल में सार्क देशो के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2018 में मधुरेन्द्र कुमार ने उड़ीसा में आयोजित वर्ल्ड हॉकी खेल पर आधारित कलाकृति को देख कर उड़ीसा के गवर्नर गणेशी लाल अभिभूत हो गये थे।मधुरेन्द्र बालू की विशाल-विशाल मूर्तियां बनाते हैं। रेत और मिट्टी के अलावे बड़े बड़े महापुरुष, राजनेता, साधू-संत, सन्यासी, देवी-देवताओं, शहीदों तथा पूर्वजों की मूर्तियां को तांबा, पितल, एल्युमिनियम जैसे धातु, फाइबर, सीमेंट तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस से भी मूर्तियां बनाते हैं। मधुरेन्द्र ने दुनिया भर में 13 अंतरराष्ट्रीय रेत मूर्तिकला चैंपियनशिप और समारोहों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए 2 चैंपियनशिप 60 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। अंतर्राराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2019 में ओडिशा के चंद्रभागा समुद्र तट पर शार्क देशों के बीच इंटरनेशनल अवार्ड जीता। सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र को अपनी कठिन परिश्रम के बदौलत 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग भारत सरकार का ब्राण्ड अम्बेसडर चुने गए। इसके अलावे राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार जैसे इंटरनेशनल सैंड आर्ट फेस्टिवल 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व किया।कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये इनको कई बार देश-विदेश में पुरस्कृत किया गया है। 2012 में दरभंगा में मेगा साइंस वेलफेयर उद्घटनोपरांत राष्ट्रपति सम्मान मिला। 2014 में नेपाल सरकार द्वारा भारत नेपाल मैत्री संबंध पुरस्कार के विजेता रहे। किशनगंज जिले के प्रसिद्व खगड़ा मेला 2015 में फ्रेंडशिप ऑफ इंडिया एंड अमेरिका पुरस्कार के विजेता रहे। 2019 में वैश्विक शान्ति पुरस्कार के विजेता, 2016 में पटना द आर्ट प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल, 2016 में बिहार गौरव अवार्ड जीता। विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला 2014 से लगातार छह वर्षों तक चैम्पियनशिप रहा, जो एक रिकॉर्ड हैं। 2016 में बिहार रत्न पुरस्कार, 2016 में शाहिद सम्मान मिला। 2019 में केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा कला सम्राट की उपाधि और 2017 में आम्रपाली पुरस्कार के विजेता रहे। 2015 में पटना के किलकारी में आयोजित मेगा पेन्टिंग कॉम्पिटिशन में उत्कृष्ट कला पुरस्कार मिला। 2017 चम्पारण रत्न एवं वैशाली गणराज्य सम्मान मिला। 2018 में केसरिया महोत्सव सम्मान। गांधी संग्रहालय में उत्कृष्ट कला प्रदर्शन के लिए गोल्ड मैडल जीता। 2018 में बांका महोत्सव सम्मान के विजेता। 2019 में चम्पारण गौरव अवार्ड मिला। बौद्ध महोत्सव में 6 बार चैम्पियनशिप एक रिकॉर्ड बनाया। 2018 में वैशाली महोत्सव में 4 बार उत्कृष्ट पुरस्कार जीते। 2019 में मिस्टर चम्पारण अवार्ड जीता। 2016-18 में गोपालगंज में 3 बार थावे महोत्सव पुरस्कार जीता। 2019 में चम्पारण के राजेन्द्र नगर भवन में आईकॉन ऑफ चम्पारण मिला। गया में 2019 में मगध रत्न अवार्ड युथ आईकॉन अवार्ड जीता। 2019 में ग्लोबल बिहार एक्सलेंस अवार्ड भी जीते। 2020 में युवा भारत निर्माणकर्ता पुरस्कार मिला। अंतराष्ट्रीय राजगीर महोत्सव में वर्ष 2014 से लगातार 5 बार चैम्पियनशिप रहा।उन्होंने राष्ट्रीय युवा पुरस्कार(2020), राष्ट्रीय आयुष पुरस्कार (2017), अंतराष्ट्रीय रेत कला पुरस्कार (2018), और 2019 में ख्वाब फॉउंडेशन द्वारा कलाम यूथ लीडरशिप अवार्ड मिला। उनके कला प्रदर्शन को भारत के राष्ट्रपति, भारत के प्रधान मंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री, स्वास्थ मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल जैसे माननीय गणमान्य व्यक्तियों ने भी सराहा है। न्होंने 2016 में बिहार के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से बीएफए की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार का सबसे बड़ा सैंड आर्ट बनाकर रिकॉर्ड बनाया। 2019 में उन्हें चुनाव आयोग भारत सरकार द्वारा स्वीप आईकॉन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।मधुरेन्द्र कुमार कहते हैं कि सैंड आर्टिस्ट बनने के लिए ज्यादा डिग्री की जरूरत नहीं होती, सिर्फ कला से जुड़ी तकनीकी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। आजकल कई कला स्कूल हैं जो ये सिखाते हैं। कुछ नया करने की चाहत और मन में दृढ इच्छा शक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है।

मारूति नंदन मिश्र
नयागांव, परबत्ता, खगड़िया