डॉ० हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर के केंद्र में नेहरूवियन थॉट्स इन लिटरेचर एंड हिस्ट्री पर पुनश्चर्या कार्यक्रम के दूसरे दिन हुआ चार व्याख्यान।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ० पंकज सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। आज के प्रथम वक्ता प्रो० बृज किशोर शर्मा रहे, जिन्होंने पंडित नेहरू की विकास की अवधारणा के विषय में अपनी बात अत्यन्त ही व्यापक तरीके से रखी, जिसमें बताया कि पंडित नेहरू आज़ादी के पहले ही कांग्रेस के मंच से भारत के आर्थिक माडल के रोड मैप की कल्पना की थी एवं भारत के प्रगति के लिए नेहरू ने वैज्ञानिकता पूर्ण सोच के साथ ही अपने कार्यों को कार्यान्वित किया है। अपने वक्तव्य के दौरान बताया कि गांधी और नेहरू दोनों भारत वर्ष को आत्म निर्भर बनाना चाहते थे। डॉ० गजानंद मालविया ने प्रो० शर्मा का धन्यवाद् ज्ञापित किया।
अलगे वक्ता के तौर पर गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद से प्रो० अरुण बघेला ने अपना वक्तव्य दिया जिसमें उन्होंने पंडित नेहरू का इतिहास चिंतन के विषय में अत्यंत ही सारगर्भित तरीके से प्रस्तुत किया।जिसमें बताया कि वो जेल में भी रहते हुए ऐतिहासिक पत्र अपने पुत्री को भेजते थे। और हमें नेहरू के इतिहास चिंतन को जानने के लिए हमें उनके द्वारा लिखे ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। प्रो० बघेला ने बताया कि नेहरू का इतिहास चिंतन जीव विकास की यात्रा के रूप में रहा है। ऐतिहासिक स्थानों में भ्रमण करने जाया करते थे। नेहरू भारतीय संस्कृति पर तो गर्व करते थे।पर किसी अन्य संस्कृति की उपेक्षा नहीं करते थे।साथ ही उन्होंने नेहरू के इतिहासकार के लिए बताया कि इतिहासकार को सत्य तथ्य ही जुटाना चाहिए इतिहासकार को अपनी निजी राय को नियंत्रित करना चाहिए।
प्रो० बघेला ने कार्यक्रम के समन्वयक डॉ० पंकज सिंह की बहुत बहुत प्रशंसा किया कि उन्होंने एक ऐसे समय में नेहरू पर ये कार्यक्रम करवाया जब ऐसे महान व्यक्तित्व के ऊपर बात करने की नितांत आवश्यक है।
प्रो० आशुतोष ने अपनी बात रखी कि और बताया कि नेहरू प्राचीन इतिहास के प्रति सचेत थे, और इतिहास को लेके उनकी दृष्टि बहुत ही धनी थी, जबकि नेहरू को स्वयं के इतिहासकार नहीं रहे। साथ ही बताया कि नेहरू वास्तविक रूप में आधुनिक थे जो स्त्रियों का बहुत सम्मान करते थे।
प्रो० हितेंद्र पटेल जो कोलकात्ता से जुड़े हुए थे, जिन्होंने ने अपनी बात रखी जिसमें बताया कि नेहरू के लिए भारत एक देश ही नही था बल्कि एक सपना था। जिसे वह अपने वैज्ञानिक सोच के साथ विकसित करना चाहते थे।
अंत में डॉ० पंकज सिंह ने सभी का धन्यवाद् ज्ञापित कर आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० वसीम अनवर के द्वारा किया गया।
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