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नेहरूवियन थॉट्स इन लिटरेचर एंड हिस्ट्री पर पुनश्चर्या कार्यक्रम का शुभारंभ

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डॉ० हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर के केंद्र में नेहरूवियन थॉट्स इन लिटरेचर एंड हिस्ट्री पर पुनश्चर्या कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ!

कार्यक्रम के समन्वयक डॉ० पंकज सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया और बताया कि इस कार्यक्रम में हमारे मध्य भारत वर्ष के लगभग 20 राज्यों से प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया है।

अपने वक्तव्य के दौरान डॉ० पंकज सिंह ने बताया कि इतिहास दर्शन के बिना अधूरा है,और साथ ही हमें यह भी अवगत कराया कि यह कार्यक्रम 20 फ़रवरी से 6 मार्च तक चलेगा जिसमें हमारे बीच प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रोफेसर हेरम चतुर्वेदी,हितेंद्र पटेल,और अनिल दत्त मिश्र जैसे भारत वर्ष के महान विद्वान इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगें।

अपने वक्तव्य के दौरान नेहरू के विषय में बताते हुए डॉ० पंकज सिंह ने बताया कि आज जो चंद्रयान जैसे उपलब्धियां भारत प्राप्त कर रहा है,यह वास्तविक रूप में नेहरू का स्वप्न साकार हो रहा। बहुत ही सूक्ष्म रूप से डॉ पंकज ने प्रकाश डाला कि कैसे ने नेहरू ने एक प्रधानमंत्री के तौर पर एक नवनिर्माण राष्ट्र को मजबूती प्रदान किया।और साथ ही इतिहास की पाठकों को भी सचेत किया की आज के भ्रामक अफवाहों से बचे और तथ्य परक अध्ययन की ओर उन्मुख हों।

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध दर्शन शास्त्री अंबिकादत्त शर्मा ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया और बताया कि आज हम उसी देश के आज़ादी का अमृतकाल मना रहें हैं, जिसके गठन की जिम्मेदारी पंडित जवाहर लाल नेहरू पर थी। और आज 75 वर्षों में जहां यह देश पहुंचा उस रास्ते का निर्माण पंडित नेहरू ने किया। अपने वक्तव्य के दौरान प्रो० शर्मा ने बताया कि 19वी शताब्दी भारत सृजनात्मकता के पुनर्जागरण के चरम स्थिति पर था। नेहरू के लेखन कौशल पर बात करते हुए बताया कि नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है।और इसे प्रत्येक अध्ययनशील व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। और साथ ही नेहरू के जन्म का जिक्र करते हुए बताया कि नेहरू का जन्म एक संत के आशीर्वाद से हुआ था। उन्होंने बताया कि आइडिया ऑफ भारत नेहरू की संकल्पना थी,जो धर्म से पोषित विज्ञान के अनुप्रेरित था। उन्होंने बताया कि जिस समय नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने इस समय देश में एक बहुत बड़ी आबादी को कफ़न तक नसीब नहीं होता था। और नेहरू ने अपने कौशल एवं साहस का परिचय देते हुए इस देश को संवारा है। इस दौर में जब नेहरू और गाँधी को भुलाया जा रहा है, उस दौर में नेहरू पर केन्द्रित कार्यक्रम करवाने के लिए सभी आयोजकों एवं विशेष रूप से कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. पंकज सिंह के साहस की सराहना किया। अपने वक्तव्य का समापन इस वाक्य के साथ किया को नेहरू के प्रति हमें समालोचनात्मक होना चाहिए और यह अधिकार स्वयं हमें नेहरू प्रदान करते है।

 

साथ ही इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक अहिरवार ने अपने वक्तव्य के माध्यम से बताया कि नेहरू ने इस देश की नींव रखी और दिशा को तय करने के साथ देश के सभी वर्ग एवं विचारों का नेतृत्व किया। अपने वक्तव्य के दौरान प्रोफेसर अहिरवार ने नेहरू और सरदार पटेल के रिश्तों और विचारों की एकरूपता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।और बताया कि जो आज भी भारत में लोकतंत्र इतना मजबूज है, यह नेहरू की देन है।

प्रो० अहिरवार ने बताया कि हमें देश के नायकों को याद रखना चाहिए नहीं तो आज़ादी कब गुलामी में तब्दील हो जाती है,पता नहीं चलता! कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति के प्रतिनिधि के तौर पर प्रो० बी० के० श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सर्व प्रथम इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ० पंकज सिंह की सराहना एवं बधाई दिया इतने सफल आयोजन के लिए। और प्रो० शर्मा के सारगर्भित व्याख्यान की भूरि भूरि प्रशंसा किया। और बताया कि नेहरू के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। आज के भारत का साकार रूप जो दिख रहा वह नेहरू के स्वप्न का साकार होना है।

प्रोफेसर आर० टी० बेंद्रे जो कार्यक्रम के निर्देशक हैं, उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट कर कार्यक्रम का समापन किया गया।

इस कार्यक्रम में इतिहास विभाग के सहायक आचार्य संजय बारोलिया एवं इतिहास विभाग के शोधार्थी अदिती बुंदेला,आशू अहिरवार, अभिलाषा, अखिलेश सेन, अतुल सिंह चंदेल, करुणा सिंह राजपूत,अम्बुज कुमार श्रीवास्तव, विशेष जोठे, अभय सिंह चौहान, विजय प्रकाश और शिवानी प्रजापति उपस्तिथ रहे । इस सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन उर्दू विभाग के सहायक आचार्य डॉ. वसीम अनवर ने किया।

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मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।