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“प्रमाण विवेचन में प्रमा-अप्रमा का औचित्य” विषय पर व्याख्यान आयोजित।

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दिनांक 24.11.2024 को दर्शन विभाग लंगट सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में स्टडी सर्किल के अंतर्गत 8वाँ व्याख्यान प्राचार्य प्रो. (डॉ.) ओमप्रकाश राय जी के संरक्षकत्व में हुआ।

दर्शन जगत के युवा विद्वान् डॉ जयंत उपाध्याय, दर्शन एवं संस्कृति विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा का “प्रमाण विवेचन में प्रमा-अप्रमा का औचित्य” विषय पर विद्वतापूर्ण व्याख्यान हुआ।

अध्यक्षता प्रसिद्ध भाषाविद प्रो. देवेंद्र नाथ तिवारी, पूर्व अध्यक्ष, दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने की। संचालन विभागाध्यक्ष एवं समन्वयक डॉ. विजय कुमार ने किया।धन्यवाद ज्ञापन दर्शन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपिका कुमारी ने किया। इस आभासीय पटल पर प्रो. चंद्रभूषण सिंह, सिवान; डॉ सुधा जैन, वाराणसी, डॉ. रमेश कुमार विश्वकर्मा, डॉ. संजय सिंह, डॉ. रणंजय कुमार सिंह, वर्धा; डॉ. हिमांशु शेखर, डॉ. अनुराधा पाठक, डॉ. ममता वर्मा, डॉ. सुरबाला मुजफ्फरपुर, डॉ सुधांशु शेखर, मधेपुरा; डॉ. श्याम किशोर सिंह, हाजीपुर; डॉ. कुमारी पूजा, गया; आदि के लगभग 55 लोग जुड़े थे। इसमें स्नातक, स्नातकोत्तर और PGDYS के छात्रों ने भी भाग लिया।

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