गजल/ आप से बढ़कर मुझे कोई नहीं भाया कभी/ डॉ. मनजीत

गजल

आप से बढ़कर मुझे कोई नहीं भाया कभी
हाँ मगर तारीफ में मैं कुछ न कह पाया कभी।

जिंदगी के फैसले में जिंदगी से दूर था
आपने यह बात मुझको क्यों न समझाया कभी।

सोचता हूँ छोड़कर मैं भी चला जाऊँ मगर,
मोह में पड़ता कभी या रोकती माया कभी।

दूर होकर पागलों-सा मैं भटकता फिर रहा
हाल भी मेरा नहीं वह पूछने आया कभी।

मुँह न मोड़ें इस कदर अब आप इस ‘मनजीत’ से
आपको ही गुनगुनाया मैं अगर गाया कभी।

# डॉ. मनजीत