24 सितंबर, 2020 : “पोषण पर्यावरण एवं पंचायत” विषयक वेबीनार में श्री कृष्ण महिला महाविद्यालय, बेगूसराय की पूर्व प्रधानाचार्य, प्रोफेसर स्वप्ना चौधरी, आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान देंगी

24 सितंबर, 2020 ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में हो रही वेबीनार सीरीज के अंतर्गत श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय, बेगूसराय की पूर्व प्रधानाचार्य, प्रोफेसर स्वप्ना चौधरी “पोषण पर्यावरण एवं पंचायत” विषयक वेबीनार में आमंत्रित वक्ता के रूप में व्याख्यान देंगी। जी हाँ यकीनन एक ऐसा नाम जिनकी विद्वता की कोई सानी नहीं, जो सहज भी हैं, सरल भी हैं, सौम्य भी हैं व शालीन भी हैं। जो विद्वान भी हैं व कुशाग्र भी हैं। जिनके शैक्षणिक पृष्ठभूमि का दूर-दूर तक कोई जोड़ नहीं। जिन्होंने देश के लिये अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिनके व्याख्यान की विशेष मांग देश के अंदर ही नहीं बल्कि विदेशों की धरती से भी हैं।
स्वप्ना चौधरी का जन्म पटना में हुआ था, पिताजी ADM के पद पर आसीन थे दो भाइयों में अकेली बहन, बड़े भाई डाक्टर छोटा IPS हैं। कम उम्र में शादी बेगुसराय के पुराने परम्परागत परिवार परिवार में हुआ था। पति के सहयोग से पढ़ाई आगे पूरा किया गया। पति डॉक्टर रामकुमार सिंह, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर गणित विभाग के विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। पटना विश्वविद्यालय से इंटर, स्नातक विज्ञान की पढ़ाई एम• डी• डी• एम• महाविद्यालय से फिर स्नातकोत्तर भीमराव अंबेडकर बिहार, विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से तथा पीएचडी की डिग्री जे• एस• दत्ता मुंशी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक के साथ किया था । इन्होंने सिंघी मछली पर डाक्टर मुंशी के साथ पुस्तक भी प्रकाशित किया, इनके रीसर्च में जीयूटी के एपिथीलीयम स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रस्कोप से अध्यन किया था। अभी तक इनके दो पुस्तक, सत्ताईस शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं, साथ ही कई आलेख भी प्रकाशित हुए थे ।अपने शैक्षणिक करियर में तीस से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ़्रेन्स एवं सेमिनार में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया साथ कई बार चेयर पर्सन, रिसोर्स पर्सन के रूप में भाग लिया। यूजीसी के माइनर एवं मेजर प्रोजेक्ट इनके द्वारा पूरा किया गया । इन्हें आठ अवार्डस से भी सम्मानित किया गया जिनमें मुख्य इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ इकोलॉजी (बेगुसराय के वेटलैंडस के अध्ययन पर ), जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया महिला विकास निगम ,भारत विकास परिषद आदि अनेकों संस्थान तथा संगठनो ने समय समय पर उन्हें सम्मानित किया गया। बारह छात्र छात्राओं को शोध कराने की भी उपलब्धि इन्हें हासिल है। अपने ऐकडेमिक कार्यकाल में कई शिक्षा सोसायटी की आजीवन सदस्य भी हैं। कई जर्नल के एडिटोरीयल बोर्ड में भी हैं । इन्होंने रंगीन मछली संरक्षण पर राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेन्स का सफल आयोजन किया। जिसमें पूरे देश से सीआईएफए, सीआईएफई, सीआयएफआरआई के सैकड़ों वैज्ञानिक अपने सोध पत्र प्रस्तुत किये। इन्होंने अपने कार्यकाल में छात्राओं के लिए मशरूम, मछलीं पालन एवं वरमीं काम्पोस्ट की सर्टिफ़िकेट कोर्स शुरू किया गया। विश्वविद्यालय के विद्वत परिषद के सदस्य, कई महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के पदभार को भी बखूबी निभाया। अपने कार्यकाल में महाविद्यालय के विभिन्न ऑफिस बियरर के रूप में बर्सर, कंट्रोलर, नोडल अधिकारी, रूसा कोऑर्डिनेटर, नेक, आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर, निदेशक दूरस्थ शिक्षा का भी कार्य भार पूरा किया। टीएमयू, भागलपुर के मोदरेशन बोर्ड का भी कार्य किया।
समाजिक कार्य में भी बढ़ चढ़ कर इनकी सहभागिता रही ,महिला उत्थान,पर्यावरण संरक्षण ,स्वच्छ भारत अभियान,मद्द निषेध महिला सुरक्षा , डिजिटल इंडिया ,रक्त दान शिविर ,वृक्षारोपण ,बाढ़ पीड़ित को मदद देना , सेव गर्ल चाइल्ड और कई गतिविधि में इनकी सक्रिय भूमिका रही है। बेगुसराय जिले के कई महत्वपूर्ण समिति में सदस्य के रूप में कार्यरत हैं जैसे नमामी गंगे, आत्मा आदि। अवकाश प्राप्त करने के बाद भी अपनी गतिविधि में कोई कमी नही आने दीं। कोरोना संकट में वर्ग संचालन में आए बाधा को ध्यान में रखते हुए मुफ़्त ऑनलाइन स्नातक प्रतिष्ठा, स्नातकोत्तर एवं शोधकर्ताओं के वर्ग संचालन से जुड़ी हुई हैं, कोरोना संकट को कैसे अवसर में बदला जाए इस विषय पर एक राष्ट्रीय एवं एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का भी सफलता पूर्ण आयोजन किया।

रिपोर्ट- डाॅ. आनन्द मोहन झा,
अतिथि सहायक प्राध्यापक,
मनोहरलाल टेकरीवाल कॉलेज,
सहरसा (पूर्व नाम सहरसा कॉलेज, सहरसा),
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा