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BNMU बीएनएमयू : स्नातक में द्वितीय सूची से नामांकन 5 से 10 अक्टूबर तक

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*बीएनएमयू : स्नातक में द्वितीय सूची से नामांकन 5 से 10 अक्टूबर तक*
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बीएनएमयू में स्नातक प्रथम सेमेस्टर (जुलाई-दिसम्बर 2023), सत्र 2023-2024 में द्वितीय सूची के आधार पर नामांकन 5 से 10 अक्टूबर तक निर्धारित किया गया है। साथ ही सभी नामांकित विद्यार्थियों का 11 अक्टूबर तक यूएमआईएस पोर्टल पर कन्फर्मेशन करने हेतु प्रधानाचार्यों को निदेशित किया गया है।
*2 नवंबर से होगी सीआईए परीक्षा*

उप कुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने नामांकन, परीक्षा एवं परीक्षा फल प्रकाशन के कार्यों में गति लाने का निदेश दिया है। कुलपति के निदेशानुसार उन्होंने बताया कि प्रथम मेधा सूची के आधार पर नामांकित सभी विद्यार्थियों का कक्षारंभ 29 सितंबर से हो चुका है। आगे 15 अक्टूबर तक नामांकन प्रक्रिया पूरी करनी है और 2-6 नवंबर तक सतत आंतरिक मूल्यांकन (सीआईए) परीक्षा आयोजित करना है।

उन्होंने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत सीआईए तीस अंकों का होना है। इसमें पंद्रह अंक टेस्ट, दस अंक असाइनमेंट/ सेमिनार/क्विज प्रेजेंटेशन और पांच अंक उपस्थिति पर दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि कुलपति ने प्रधानाचार्यों को निदेशित किया है कि वर्ग-तालिका के अनुरूप सभी विषयों की कक्षाएँ अनिवार्यतः निर्धारित तिथि से शुरू करा दी जाएँ। इसके साथ ही कक्षाओं में विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति हेतु हरसंभव प्रयास किए जाएँ तथा परीक्षा फार्म अग्रसारण के पूर्व विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कर ली जाएँ।

उन्होंने बताया कि कुलपति ने सभी पदाधिकारियों, संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों एवं शिक्षकों को सीबीसीएस पाठ्यक्रम की समुचित जानकारी प्राप्त करने का निदेश दिया है। सीबीसीएस के क्रियान्वयन को लेकर कुलपति की अध्यक्षता में पिछले 12 दिनों में सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की दो बैठकें हो चुकी हैं। कुलपति ने सभी महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन करने का निदेश दिया है।‌

*विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है सीबीसीएस*
उन्होंने बताया कि सीबीसीएस कोर्स करने से विद्यार्थियों को कई फायदा होगा। विद्यार्थी अपनी पसंद से जो भी विषय पढ़ना चाहें, उसका चयन कर सकते हैं।कुलपति ने सभी प्रधानाचार्यों को निदेशित किया है कि विद्यार्थियों के पंजीयन के समय सही से विषय भरना सुनिश्चित करा लें। सभी प्रधानाचार्यों को मेजर, माइनर और स्कील इन्हान्समेंट कोर्स एवं वेल्यू एडेड कोर्स की सूची उपलब्ध करा दी गई है।

*सीबीसीएस में है क्रेडिट सिस्टम*

उन्होंने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत चार वर्षीय कोर्स 8 सेमेस्टर का है और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। छात्रों को अंतिम वर्ष के सातवें सेमेस्टर में पहुंचने तक 7.5 सीजीपीए प्राप्त करना होगा।

उन्होंने बताया कि सीबीसीएस सिस्टम में विद्यार्थियों को प्रत्येक छ: माह पर मुख्य परीक्षा देनी होगी। एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद सर्टिफिकेट और दो वर्ष बाद डिप्लोमा और तीन वर्षीय कोर्स करने के बाद डिग्री मिल जाएगी। चौथे वर्ष में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। तीन वर्षीय स्नातक करने वालों के लिए पीजी दो वर्ष का होगा। चार वर्षीय कोर्स करने वालों के लिए पीजी एक वर्ष का ही होगा और उन्हें रिसर्च का भी मौका मिलेगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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