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ICPR ‘हाइडेगर की दृष्टि में सत्ता एवं मनुष्य’ विषय पर व्याख्यान 28 फरवरी को

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*पहली बार पाश्चात्य दर्शन से संबंधित विषय पर होगा संवाद*

दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में 28 फरवरी को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) नई दिल्ली के स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत एक संवाद एवं परिचर्चा आयोजित है।

इसमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के पूर्व प्रति कुलपति एवं उत्तर भारत दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सभाजीत मिश्र ‘हाइडेगर की दृष्टि में सत्ता एवं मनुष्य’ विषय पर व्याख्यान देंगे। खास बात यह है कि पहली बार पाश्चात्य दर्शन के किसी विचारक को केंद्र में रखकर संवाद आयोजित किया गया है।

*आईसीपीआर के पूर्व अध्यक्ष करेंगे अध्यक्षता*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष सह आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचंद्र सिन्हा करेंगे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर होंगे। अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्ष सह दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह करेंगी। कार्यक्रम में विशेष रूप से टिप्पणी एवं प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन भी किया जाएगा। इसमें प्रो. (डॉ.) इंदु पांडेय खंडुरी एवं डॉ. आलोक टंडन विशेष टिप्पणीकार के रूप में उपस्थित रहेंगे।

*हो चुके हैं दस संवाद*
डॉ. शेखर ने बताया कि बीएनएमयू, मधेपुरा में अप्रैल 2022 से स्टडी सर्किल कार्यक्रम की शुरुआत हुई है और अब तक सफलतापूर्वक दस संवादों का आयोजन किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि पूर्व में संवाद के अंतर्गत सांस्कृतिक स्वराज, गीता का दर्शन, मानवता के लिए योग, भारतीय दर्शन में जीवन-प्रबंधन, प्रौद्योगिकी एवं समाज, समाज- परिवर्तन का दर्शन, गांधीवाद : सिद्धांत एवं प्रयोग, युवाओं के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश, वैदिक दर्शन का मानवतावादी दृष्टिकोण और भारतीय दर्शन में भारतीय क्या है? जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा चुकी है। इन संवादों के वक्ता क्रमशः प्रो. रमेशचन्द्र सिन्हा (नई दिल्ली), प्रो. जटाशंकर, (प्रयागराज), प्रो. एन. पी. तिवारी (पटना), प्रो. इंदु पांडेय खंडुरी (गढ़वाल), डॉ. आलोक टंडन (हरदोई), प्रो. पूनम सिंह (पटना), डॉ. मनोज कुमार (वर्धा), माधव तुरूमेला (लंदन), डॉ. गोविन्द शरण उपाध्याय (नेपाल) एवं प्रो. सच्चिदानंद मिश्र (नई दिल्ली) थे। इसी कड़ी में ग्यारहवां संवाद 28 फरवरी
को ‘हाइडेगर की दृष्टि में सत्ता एवं मनुष्य’ (प्रो. सभाजीत मिश्र) विषय पर सुनिश्चित है।

*मार्च 2023 में होगा अंतिम संवाद*
उन्होंने बताया कि आगे स्टडी सर्किल के अंतर्गत मार्च में अंतिम संवाद का आयोजन होना है। इसके लिए डॉ. मुरलीधर पांडा (दक्षिण अफ्रीका), डॉ. नीलिमा सिन्हा (गया), डॉ. वैद्यनाथ लाभ (नालंदा), डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल (वर्धा), डॉ. अम्बिका दत्त शर्मा (सागर) आदि विद्वानों से अनुरोध किया जा रहा है। वक्ताओं से सहमति मिलने के बाद विषयों का निर्धारण किया जाएगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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