BNMU परीक्षा नियंत्रक बने डॉ. गजेन्द्र

परीक्षा नियंत्रक बने डॉ. गजेन्द्र
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बीएनएमयू के महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) डॉ. गजेन्द्र कुमार ने शुक्रवार को परीक्षा नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण किया। शुक्रवार को कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर के समक्ष अपना योगदान समर्पित किया और कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण से भी शिष्टाचार भेंट की। कुलपति ने डॉ. कुमार को शुभकामनाएं दीं और सत्र-नियमितिकरण हेतु हरसंभव कदम उठाने का निदेश दिया। डॉ. कुमार ने कहा कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की हरसंभव कोशिश करेंगे और पूर्व परीक्षा नियंत्रक के अधूरे कार्यों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि वे सबको साथ लेकर कार्य करेंगे और छात्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। उन्होंने सत्र नियमितीकरण को अपनी पहली प्राथमिकता बताते हुए इसमें सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से सहयोग की अपेक्षा की है।

इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव, डॉ. वैद्यनाथ, विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. राजीव रंजन, डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, डॉ. विनोद कुमार यादव एवं उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डॉ. गजेन्द्र ने अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत 1985 ई. में बी. एन. एम. भी. कॉलेज, मधेपुरा से की। वहां से उनका वर्ष 2010 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में तबादला हुआ। वे वहां इतिहास विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। वे महाविद्यालय के नोडल पदाधिकारी, परिसंपदा पदाधिकारी एवं उप प्रधानाचार्य और टाटा आयरन एंड स्टील हास्टल के अधीक्षक भी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि डॉ. कुमार को वर्ष 2020 में विश्वविद्यालय के परिसंपदा पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रूप में उन्होंने दिन रात एक कर काफी सराहनीय कार्य किया। पुनः उन्हें महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) की जिम्मेदारी मिली। इधर, गत 29 जनवरी की रात तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश के आकस्मिक निधन के बाद अगले आदेश अथवा नियमित नियुक्ति होने तक यह प्रभार प्रदान किया गया है।

उन्होंने बताया कि डॉ. कुमार की पहचान विश्वविद्यालय के लिए समर्पित पदाधिकारी के रूप में है और इन्हें आज तक जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसका इन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। ऐसे में यह आशा व्यक्त की जा सकती है कि ये परीक्षा नियंत्रक के पद की चुनौतियों का भी बखूबी सामना करेंगे और विश्वविद्यालय को एक नई पहचान दिलाने में सफल हो सकेंगे।