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Ramjee Singh का सम्मान समारोह आयोजित

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सम्मान समारोह का आयोजन

पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह (1927) सुप्रसिद्ध गाँधीय विचारक, लेखक एवं कार्यकर्ता तथा
स्वतंत्रता सेनानी एवं जननेता के रूप में देश-विदेश में समादृत हैं। गाँधी-दर्शन को एक विद्या स्थान के रूप में अकादमिक जगत में
प्रतिस्थापित करने वाले आचार्य के रूप में आपका नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। आप जैसे आदर्श शिक्षक एवं मनुष्यता के प्रतिक को सम्मानित करते हुए हम सभी अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कही। वे पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के सीनेट हॉल में गांधी विचार विभाग एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने बताया कि डॉ. सिंह गांधी विचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनू के कुलपति रहे हैं। आपने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया है।

उन्होंने बताया कि आपको आपकी महनीय सेवा, आदर्श साधना एवं अनुकरणीय संघर्ष के लिए कई पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। इनमें भारत सरकार ने देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री और शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली का समग्र जीवनोपलब्धी सम्मान (2018-19) प्रमुख है।

इस अवसर पर *बीएनएमयू के पूर्व प्रति सह जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूक अली,* डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेन्द्र, कुलानुशासक डॉ. रतन मंडल, विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार, डॉ. मनोज कुमार (वर्धा), डॉ. हितेंद्र पटेल (कोलकाता), डॉ. प्रकाश चंद्र गुप्ता, डॉ. उमेश प्रसाद नीरज आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।