NMM सबसे प्राचीन है ब्राह्मी लिपि

*सबसे प्राचीन है ब्राह्मी लिपि*

ब्राह्मी लिपि सबसे प्राचीन है। सृष्टिकर्ता ब्रह्मा इसके जन्मदाता माने जाते हैं।

यह बात विशेषज्ञ वक्ता हर्ष रंजन कुमार (पटना) ने कही।वे ‘पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान’ पर आयोजित तीस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के में अपना व्याख्यान दे रहे थे। यह कार्यशाला राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सौजन्य से केन्द्रीय पुस्तकालय, बीएनएमयू, मधेपुरा में आयोजित हो रही है।

उन्होंने बताया कि बौद्ध ग्रंथ ‘ललितविस्तर’ में 64 लिपियों के नाम दिए गए हैं। इनमें पहला नाम ‘ब्राह्मी’ है और दूसरा ‘खरोष्ठी’। सम्राट अशोक के अभिलेखों में भी इस लिपि का प्रयोग किया गया है।

उन्होंने बताया कि ब्राह्मी लिपि मात्रात्मक लिपि है। यह लिपि बांएं से दांएं की तरफ लिखी जाती है। यह व्यंजनों पर मात्रा लगाकर लिखी जाती है। कुछ व्यंजनों के संयुक्त होने पर उनके लिए ‘संयुक्ताक्षर’ का प्रयोग (जैसे प्र= प् + र)। इसमें वर्णों का क्रम वही है, जो आधुनिक भारतीय लिपियों में है।

उन्होंने बताया कि लिखित अभिलेखों के आधार पर हम प्राचीन इतिहास एवं सभ्यता- संस्कृति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हम अपने प्राचीन इतिहास और सभ्यता-संस्कृति के बारे में उतना ही जानते हैं, जितना लिखित रूप में उपलब्ध है। इस तरह लिपियों का संरक्षण सभ्यताओं के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है।

इस अवसर पर केंद्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार, उप कुलसचिव अकादमिक डॉ. सुधांशु शेखर, पृथ्वीराज यदुवंशी, सिड्डु कुमार, डॉ. संगीत कुमार, डॉ. राजीव रंजन, त्रिलोकनाथ झा, सौरभ कुमार चौहान, अमोल यादव, कपिलदेव यादव, शंकर कुमार सिंह, बालकृष्ण कुमार सिंह, अरविंद विश्वास, रुचि कुमारी, स्नेहा कुमारी, मधु कुमारी, लूसी कुमारी, ब्यूटी कुमारी, रश्मि कुमारी, अंजली कुमारी आदि उपस्थित थे।

*होगा क्षेत्र भ्रमण*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कार्यशाला में एक दिन क्षेत्र भ्रमण होगा। प्रतिभागियों को कांदहा सूर्य मंदिर एवं मटेश्वर स्थान का भ्रमण कराया जाएगा।