कविता/ कहने के लिए / प्रोफेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खण्डूड़ी, अध्यक्षा, दर्शनशास्त्र विभाग, हे. न. ब.  गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड

कहने के लिए,
कर्त्तव्यों का अनुपालन,
बहुत कुछ मांगता है,
ये हमारी लगन, शिद्दत,
लगाव और दिन रात मांगता है।
कर्तव्य के दायरे और,
शिद्दत से चाहत की सीमाएं
अगर टकराने लगे तो,
कर्तव्य कहने के लिए होता है।
और शिद्दत के राह में,
कंटीली बाधाएं सी दिखती है,
पूरी दुनियां दुश्मन सी दिखती है।
प्राथमिकताएं बदलती है,
विसंगतियों बढ़ती है,
व्यवहार बदलता है अपना,
और पूरी दुनियां बदली लगती है
कर्तव्य करने के लिए नहीं
बस कहने के लिए शेष रहता है।

-प्रोफेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खण्डूड़ी            अध्यक्षा, दर्शनशास्त्र विभाग, हे. न. ब.  गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड