BNMU गाँधी का संपूर्ण जीवन एक संदेश है : कुलपति

गाँधी का संपूर्ण जीवन एक संदेश है : कुलपति
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गाँधी एक व्यक्ति मात्र नहीं हैं, बल्कि वे एक विचार हैं। उनका संपूर्ण जीवन ही संदेश है।

यह बात भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही।

 

वे राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे। परिचर्चा का विषय गाँधी के सपनों का भारत और युवा वर्ग था।

कुलपति ने कहा कि गाँधी कोरे सिद्धांतवादी नहीं, बल्कि प्रयोगधर्मी व्यवहारवादी थे। वे जो कहते थे, वो करते थे और जो करते थे, वही कहते थे।

कुलपति ने कहा कि गाँधी कर्मयोगी थे। उनका निष्काम कर्म में विश्वास था। उनके सपनों को साकार करने के लिए हमें भी निरंतर अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा। हमें जो भी दायित्व मिला है, उसका हम सम्यक् निर्वहन करें। हमारे कर्म से ही गाँधी के सपनों का भारत बनेगा।

कुलपति ने कहा कि गाँधी-दर्शन में देश-दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। गाँधी-दर्शन को अपनाकर हम गरीबी, बेरोजगारी, विषमता, हिंसा, आतंकवाद, पर्यावरण-संकट आदि संकटों का समाधान कर सकते हैं और हम समाज एवं राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जा सकते हैं।

कुलपति ने कहा कि गाँधी शोषित-पीडित एवं वंचित व्यक्ति की आवाज थे। उनका सपना था कि समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान हो और वह देश की मुख्यधारा में आए। आज हमें गाँधी के सर्वोदय एवं अन्त्योदय के विचारों को जमीन पर उतारने की जरूरत है।

कुलपति ने कहा कि गाँधी ने सत्य, अहिंसा एवं सत्याग्रह आदि मूल्यों को अपनाया। ये मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं। आज के युवाओं में इन मूल्यों का प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है।

उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित करें। स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज एवं राष्ट्र के लिए कार्य करें।

डीएसडब्लू डाॅ. अशोक कुमार यादव ने गाँधी के जीवन-दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गाँधी ने लोगों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इसमें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं नैतिक विकास की बातें शामिल हैं। इसके मूल में वैचारिक विकास है। प्रत्येक व्यक्ति का विकास होगा, तो समाज, राष्ट्र एवं विश्व का विकास होगा।

उन्होंने कहा कि गाँधी के सपनों को साकार करने की मुख्य जिम्मेदारी युवाओं की है। युवा वर्ग ही उत्पादक वर्ग होता है। हमें युवाओं की उर्जा को सकारात्मक दिशा देने की जरूरत है। युवा नकारात्मक विचारों को छोड़ें और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें।

कुलानुशासक डाॅ. विश्वनाथ विवेका ने कहा कि गाँधी के जीवनकाल में ही उनके अनुयायियों ने उन्हें भूला दिया। हम सिर्फ जयंती एवं पुण्यतिथि पर गाँधी को याद करते हैं। लेकिन अन्य दिनों में गाँधी-विचार के विपरीत आचरण करते हैं।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने कहा कि गाँधी महामानव थे। उनका व्यक्तित्व असीमित है और उन्होंने संपूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग सुझाया है। गाँधी के विचार आज भी जिंदा हैं। उनके संबंध में आइंस्टाइन ने बिल्कुल सही कहा था कि आने वाली पीढ़याँ बड़ी मुश्किल से यह विश्वास कर सकेंगी कि गाँधी जैसा हाड़ मांस का कोई पुतला इस धरती पर चला था।

वक्ताओं ने कहा कि बिहार ने ही मोहन को महात्मा बनाया। यदि गांधी चंपारण नहीं जाते, तो महात्मा गाँधी नहीं बनते। उन्होंने बिहार के चंपारण से ही भारत में अपने सत्याग्रह आंदोलन की शुरूआत की।

कार्यक्रम के संचालक एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना का गठन युवाओं को गाँधी के आदर्शों से जोड़ने के लिए किया गया है।

कार्यक्रम की शुरूआत महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि के साथ हुई।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी नरेंद्र प्रसाद सिन्हा, शिक्षक संघ के महासचिव डाॅ. अशोक कुमार, वित्त पदाधिकारी रामबाबू महतो, विकास पदाधिकारी डाॅ. ललन प्रसाद अद्री, निदेशक (शै.) डाॅ. एम. आई. रहमान, डाॅ. विनय कुमार चौधरी, डाॅ. आलोक कुमार, डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप, डाॅ. गजेंद्र कुमार, बी. पी. यादव, उप कुलसचिव (शै.) डाॅ. सुधांशु शेखर, उप क्रीड़ा सचिव डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, डाॅ. अमरेंद्र कुमार, कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव, शोधार्थी द्वय सारंग तनय, काउंसिल मेम्बर माधव कुमार, शांतनु यदुवंशी, सिद्दु कुमार, देवेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।