BNMU दर्शन के बगैर अधूरा है जीवन

*दर्शन के बगैर अधूरा है जीवन*

दर्शन यथार्थ की परख के लिए एक दृष्टिकोण है और यह दृष्टिकोण सभी व्यक्तियों में पाया जाता है। सिर्फ दर्शन पढ़ाने वाले दार्शनिक नहीं हैं, बल्कि सभी व्यक्ति दार्शनिक हैं।

यह बात शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्त संस्था भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् द्वारा प्रायोजित विश्व दर्शन दिवस के दौरान सामने आई।

विश्व दर्शन दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा वर्ष 2002 से की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य दार्शनिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन है। इसके अंतर्गत दार्शनिक विरासत को साझा करने के लिए विश्व के सभी लोगों को प्रोत्साहित करना और विभिन्न विचारों के लिए खुलापन लाना तथा समकालीन चुनौतियों से लड़ने के लिए विचार-विमर्श को प्रेरित करना शामिल है।

इस अवसर पर आईसीपीआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष *प्रो. (डाॅ.) रमेशचन्द्र सिन्हा* ने कहा कि उन्होंने कहा कि दर्शन प्राचीनतम विषय है और यह आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक है। कोई भी संस्कृति दर्शन के बगैर जीवित नहीं रह सकती है।

उन्होंने कहा कि दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है।  विश्व दर्शन दिवस हमारे लिए कर्तव्यबोध का दिवस है। इसका संदेश है कि हम दर्शन के प्रति प्रतिबद्ध हों और दर्शन को समाज के अंतिम व्यक्ति से जोड़ें।

*कुलपति प्रो. (डाॅ.) आर. के. पी. रमण* ने कहा कि दर्शन जीवन का आधार है। दर्शन के आधार पर ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

*प्रति कुलपति प्रो. (डाॅ.) आभा सिंह* ने कहा कि दर्शनशास्त्र के अध्ययन-अध्यापन को बढ़ावा देने की जरूरत है।

अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष *प्रो. (डाॅ.) जटाशंकर* (प्रयागराज) ने कहा कि विश्व की दर्शन में दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। समाज के अंतिम व्यक्ति का विकास ही दर्शन का मुख्य उद्देश्य है।

भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष *प्रो (डाॅ.) राजकुमारी सिन्हा (राँची)* ने कहा कि दार्शनिकों को अपने आंचलिक समाज एवं संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए और हाशिए पर खड़े लोगों को भी दर्शन से जोड़ना चाहिए।

रामकृष्ण मिशन, मुजफ्फरपुर के सचिव *स्वामी भावात्मानंद जी महाराज* ने कहा कि दर्शन को नए संदर्भों में व्याख्यायित करने की जरूरत है। हम लोगों में जनकल्याण की भावना जागृत करें और भारतीय दार्शनिक विचारों को जन-जन तक पहुँचाएँ।