ABDP परिषद् के अधिवेशन का समापन, बीएनएमयू की रही महती भागीदारी

परिषद् के अधिवेशन का समापन, बीएनएमयू की रही महती भागीदारी
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राष्ट्रभाषा हिंदी के माध्यम से दार्शनिक चिंतन के विकास हेतु समर्पित अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के पाँच दिवसीय 65वें वार्षिक अधिवेशन का शनिवार को समापन हुआ। सर्वोदयी चिंतन परंपरा विषय पर केंद्रित यह अधिवेशन दर्शन एवं संस्कृति विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के तत्त्वावधान में ऑनलाइन पद्धति से आयोजित हुआ।

इस अधिवेशन के समापन समारोह में विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि सर्वोदय का अर्थ सबों का, सब प्रकार से और सबों के लिए उदय है।

इसमें सब के अंतर्गत न केवल सभी मनुष्य, वरन् संपूर्ण चराचर जगत शामिल है। साथ इसमें भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों प्रकार के विकास का आदर्श प्रस्तुत किया गया है।

प्रायः सभी वक्ताओं ने कहा कि सर्वोदय कोई यूटोपिया या असंभव आदर्श नहीं है, बल्कि यह एक संभव आदर्श है। गाँधी-विनोबा के इस सर्वोदयी आदर्श को अपनाकर ही हम दुनिया को कोरोना महामारी, पर्यावरणीय असंतुलन एवं आतंकवाद सहित सभी समस्याओं से बचा सकते हैं।

अधिवेशन में व्याख्यान मालाएँ, दो संगोष्ठियाँ और छः विभागीय पत्र-वाचनों में कुल 232 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। इसमें भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की भी महती भागीदारी रही।

विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह अधिवेशन के दूसरे दिन बुधवार को ‘भारतीय परंपरा और विज्ञान’ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता की।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने चौथे दिन समाज दर्शन विभाग में ‘आधुनिक सभ्यता का संकट और सर्वोदयी समाधान’ विषयक शोध-पत्र प्रस्तुत किया।

इसी विभाग में दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान ने ‘भारतीयता की अवधारणा : संदर्भ विवेकानंद’ विषयक शोध-पत्र प्रस्तुत किया।

अधिवेशन के सामान्य अध्यक्ष अधिवेशन के सभापति की भूमिका प्रोफेसर डाॅ. डी. आर. भंडारी (जोधपुर) ने निभाई।

अधिवेशन के छः विभागों यथा- तर्क एवं ज्ञान मीमांसा, नीति दर्शन, धर्म दर्शन, तत्व मीमांसा, समाज दर्शन, योग एवं मानव चेतना के अध्यक्ष क्रमशः प्रो. डाॅ. जे. एस. दुबे, (भोपाल), डाॅ. श्यामल किशोर (पटना), डाॅ. श्याम रंजन प्रसाद सिंह (हाजीपुर), प्रोफेसर डाॅ. सोहन राज तातेड़ (जोधपुर), डाॅ. रंजना झा (मुजफ्फरपुर) एवं डाॅ. सुशिम दुबे (नालंदा) थे।

अधिवेशन के विभिन्न सत्रों में महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल, भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय, साँची की कुलपति प्रोफेसर डाॅ. नीरजा गुप्ता, सिंघानियाँ विश्वविद्यालय, जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डाॅ. सोहनराज तातेड़, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा एवं सदस्य-सचिव प्रोफेसर डाॅ. सच्चिदानंद मिश्र, अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. जटाशंकर (इलाहाबाद), पूर्व महामंत्री प्रोफेसर डाॅ. अम्बिकादत्त शर्मा (सागर) एवं महामंत्री प्रोफेसर डाॅ. जे. एस. दुबे (भोपाल), भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. राजकुमारी सिन्हा (राँची) एवं पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. गीता दुबे (मुंबई), दार्शनिक त्रैमासिक के संपादक डाॅ. शैलेश कुमार सिंह (पटना), स्थानीय संयोजक प्रोफेसर डाॅ. नृपेन्द्र प्रसाद मोदी, स्थानीय सचिव डाॅ. जयंत उपाध्याय एवं डाॅ. सूर्य प्रकाश पांडेय (वर्धा) आदि की गरिमामयी उपस्थित रही।