राधाकृष्णन ने किया दुनिया में भारत का नाम रौशन : प्रधानाचार्य
सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक आदर्श शिक्षक थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया। यही कारण है कि हम उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। यह बात प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे शिक्षक दिवस सम्मान समारोह में उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे।
प्रधानाचार्य ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन शिक्षक को सबसे अधिक महत्व देते थे। वे राष्ट्रपति बनने के बाद भी शिक्षक बने रहे और आजीवन देश में शिक्षा के विकास हेतु प्रयासरत रहे। हम राधाकृष्णन के बताए रास्ते पर चलें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रधानाचार्य ने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए नियमित रूप से कक्षा में आना जरूरी है। इसलिए सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षाओं के संचालन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।
अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कहा कि राधाकृष्णन युगद्रष्टा और समाज निर्माता थे। उन्होंने भारत के नवनिर्माण में महती भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन शिक्षकों का अत्यधिक आदर एवं सम्मान करते थे। उन्होंने अपने जन्मदिन को शिक्षकों के लिए समर्पित कर दिया।
विशिष्ट अतिथि दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि भारतीय परंपरा में शिक्षक को आचार्य कहते हैं और आचार्य का अर्थ है, आचरण के द्वारा शिक्षा देने वाला। शिक्षकों को हमेशा ऐसा आचरण करना चाहिए जो अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डु कुमार ने कहा कि उनके ऊपर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की महती जिम्मेदारी है। इसलिए शिक्षकों को जीवनभर ज्ञानार्जन के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, एसयूओ आदित्य रमन, यूओ अंकीत कुमार, यूओ अनंत कुमार, एसजीटी सत्यम कुमार, एसजीटी वाणी कुमारी, आलोक कुमार, शुक्रिया कुमारी, नैना कुमारी, मुनचुन कुमारी, अमृत राज, हिमांशु कुमार, शालू कुमारी, वैज्ञानी कुमारी, ऋतु कुमारी, दिव्यज्योति कुमारी, अनिशा गुप्ता, साक्षी प्रिया, सरोज कुमार, त्रिलोक कुमार सहित बड़ी संख्या में एनसीसी कैडेट्स तथा छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।