हिंदी विश्वविद्यालय का 27वां स्थापना दिवस समारोह
हिंदी के सम्यक् विकास के साथ आगे बढ़ रहा है विश्वविद्यालय : डॉ. भीमराय मेत्री
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में 27वां स्थापनोत्सव सोमवार, 8 जनवरी को धूमधाम से मनाया गया। टैगोर सांस्कृतिक संकुल के निराला प्रेक्षागृह में आयोजित स्थापनोत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य की उन्नति के साथ ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों में अध्ययन, अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एक समर्थ माध्यम के रूप में हिंदी के सम्यक् विकास के प्रधान लक्ष्य के साथ स्थापित इस विश्वविद्यालय ने विगत 27 वर्षों की यात्रा में अनेकों उपलब्धियां अर्जित की हैं। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को जीवंत शैक्षणिक और सांस्कृतिक वातावरण उपलब्ध कराकर उनमें सृजनात्मक प्रवृत्तियों का विकास करना इस विश्वविद्यालय की प्रमुख विशेषता रही है। अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों तक भी हिंदी भाषा और साहित्य की पहुँच बनाने में विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मानविकी, समाजविज्ञान, विधि, प्रबंधन, जनसंचार, समाज कार्य, शिक्षा, आदि अनुशासनों में नवीन ज्ञान सृजन का कार्य भी इस विश्वविद्यालय द्वारा बखूबी किया गया है। दूर शिक्षा निदेशालय के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों को भी विश्वविद्यालय अध्ययन की सुविधा व अवसर उपलब्ध करा रहा है। विगत एक वर्षों में विश्वविद्यालय में किए जा रहे शिक्षण के साथ-साथ शोध गतिविधियों में हुई उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियाँ, सम्मेलन, शैक्षणिक कार्यक्रमों, अभिविन्यास कार्यक्रमों का आयोजन इस बात का प्रतीक है कि यह विश्वविद्यालय स्वस्थ विमर्श के प्रति सजग व प्रयत्नशील है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने से लेकर उसके प्रभावी क्रियान्वयन में भी विश्वविद्यालय देश में अग्रणी रहा है। कुलपति ने कहा कि आज स्थापना दिवस के पावन अवसर पर हमें विचार करना है कि हमारी आगे की राह किस प्रकार की होगी तथा विकसित भारत की संकल्पना में हमारे विश्वविद्यालय की क्या भूमिका हो सकती है? अंतरराष्ट्रीय होने के कारण अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में हमारा दायित्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में हमें गुणवत्तापूर्ण शोध व निरन्तर नवीन ज्ञान का उपार्जन करने हेतु प्रयत्नशील रहना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय में शिक्षण, शिक्षकेतर कर्मी, शोधार्थी व विद्यार्थी इस दिशा में सतत् सकारात्मक प्रयास करते रहेंगे तथा आधुनिकता व पुरातन में समन्वय स्थापित कर भारतीय ज्ञान परम्परा को विश्व में पहचान दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। तीव्र गति से बढ़ रहे भारतीय अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही ‘ग्लोबल लीडरशिप’ का रूप ले सकेगा।स्थापनोत्सव के अध्यक्ष तथा अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय के प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि अपने अकादमिक उन्नयन के लिए संकल्पित एवं निरंतर सक्रिय इस विश्वविद्यालय ने वर्षपर्यंत अनेकानेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किये हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अभिवादन किया। उन्होंने प्रथमा भवन के सामने विश्वविद्यालय का ध्वज फहराकर शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी और विद्यार्थियों को 27वें स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी तथा विवेकानंद हिल पर पौधारोपण कर बंजर भूमि पर हरियाली को साकार करने की बात कही।
स्थापनोत्सव के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किए। ‘विकसित भारत में विद्यार्थियों की भूमिका’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता में जनसंचार विभाग की वेदिका मिश्रा को प्रथम, विवेक रंजन सिंह को द्वितीय एवं शिक्षा विभाग की पूनम कुमारी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘भारत में भाषायी विविधता भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर निबंध प्रतियोगिता में सूरज रावत, यशवर्धन, बलवन्त कुमार को क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘भारत बोध’ विषय पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में देवब्रत दुबे को प्रथम सचिन कुमार, मो. माशूक, गौरव शुक्ल, यशवर्धन को द्वितीय तथा शिवम आनंद को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन तथा कुलगीत से एवं समापन राष्ट्रगान से किया गया। वर्धा समाज कार्य संस्थान के निदेशक प्रो. बंशीधर पाण्डेय ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा कुलसचिव डॉ. धरवेश कठेरिया ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी के समवेत प्रयास से यह विश्वविद्यालय ज्ञान सृजन में निरंतर नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।