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17 बिहार बटालियन एन.सी.सी., सहरसा के द्वारा बीएनएमयू के शैक्षणिक परिसर में 10 दिवसीय वार्षिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शुरू हुआ। कैंप के पांचवे दिन कैंप कमान अधिकारी पी.के. चौधरी सिनियर कैडेटों को जूनियर कैडेटों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रेरित किया।

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17 बिहार बटालियन एन.सी.सी., सहरसा के द्वारा बीएनएमयू के शैक्षणिक परिसर में 10 दिवसीय वार्षिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शुरू हुआ। कैंप के पांचवे दिन कैंप कमान अधिकारी पी.के. चौधरी सिनियर कैडेटों को जूनियर कैडेटों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रेरित किया।


(Photo Position No .1 कैम्प कमान अधिकारी के द्वारा सीनियर कैडेटों को जूनियर कैडेटों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रेरित करए हुए।)

बीएनएमयू के शैक्षणिक परिसर में 17 बिहार बटालियन एनसीसी सहरसा के तत्वाधान में चल रहे 10 दिवसीय वार्षिक कैंप के पांचवे दिन कैंप कमान अधिकारी ले. कर्नल पी. के. चौधरी ने सभी सिनियर कैडेटों से कहा कि इससे पहले के ट्रेनिंग में प्राप्त किए अनुभव और कौशल की जानकरी जूनियर कैडेट्स को दें। साथ-ही उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और देश सेवा के प्रति उनके दायित्व को समझा है, एन.सी.सी. कैसे टाइम मैनेजमेंट एवं कर्त्तव्यों का बोध कराता है आदि वो अपने जूनियर कैडेटों को सिखायें और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदशन करने लिए प्रोत्साहित करें।

(Position .2 ले. गुड्डू कुमार के द्वारा एनसीसी के आर्गेनाईजेशन एवम रैंक के बारे में जानकारी देते हुए)

ले. डॉ. शुभाशीष दास के द्वारा एन.सी.सी. कैंप के बारे कक्षा का संचालन किया गया जिसमें कैंप के दौरान होने वाले गतिविधियां जैसे-छोटे हथियारों और ड्रिल में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण आदि के बारे में बताया गया। (Position .3 ले डॉ शुभाशीष दास के द्वारा एनसीसी कैम्प का कक्षा संचालन करते हुए।)

ले. गुड्डू कुमार के द्वारा एन.सी.सी. ऑर्गेनाइजेशन और रैंक के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि एन.सी.सी. एक नवीन, सीखने वाला और निरंतर विकसित होने वाला संगठन है। इसका श्रेय कुछ मूल पुरस्कारों द्वारा निर्देशित होता है जिन्हें हम एन.सी.सी. के सभी रैंकों में स्थापित करने का प्रयास करते हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के रैंक होते हैं, जैसे- सीडीटी, सार्जेंट, जूनियर ऑफिसर, सिनियर ऑफिसर आदि। इसके अलावा आर्म्ड फोर्स के बारे में जानकारी, जवान और ऑफिसर रैंक में भर्ती के बेसिक क्वालिफाईंग क्रायटीरिया के बारे में जानकारी, फौज के सहुलियत के साथ-साथ उसमें मौजूद जोखिम के भी बारे में भी बताया गया। अलग-अलग कैरियर ऑप्शन के बारे में भी जानकारी दी गयी।(आर्मी प्रशिक्षक हवलदार शैलेश सिंह के द्वारा ड्रिल का अभ्यास कराते हुए।)

कैंप के प्रषिक्षण के दौरान टेबल ड्रिल, गार्ड ऑफ ऑनर, व्यापन ट्रेनिंग में सही पोजिशन बनाना, व्यापक होल्डिंग का तरीका, एमिंग, ट्रिगर ऑपरेशन के बारे में जानकारी और अभ्यास करवाया गया एवं एथलेटिक्स ट्रायल लिये गये, कंपनी अनुसार टीम बनाया गया। कुछ बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान कुछ शारीरिक तकलीफें हुई उसका नर्सिंग असिस्टेंट के द्वारा दवाईयाँ दी गयी और स्थानीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जा कर उपचार करवाया गया

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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