समाजवादी चिंतक और लेखक सच्चिदानंद सिन्हा का को विनम्र श्रद्धांजलि
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जाने-माने समाजवादी चिंतक और लेखक सच्चिदानंद सिन्हा का बुधवार की सुबह उनके मिठनपुरा (मुजफ्फरपुर) वाले घर में निधन हो गया वे 97 साल के थे। सच्चिदानंद सिन्हा मुशहरी के मनिका गांव के रहने वाले थे और बहुत सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। उन्होंने कभी शादी नहीं की और पूरी जिंदगी समाजवादी आंदोलन और विचारों को आगे बढ़ाने में लगा दी।
दो दर्जन से अधिक किताबों के लेखक
सिन्हा कई विषयों पर लिखने वाले गंभीर लेखक थे। राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शन, कला और संस्कृति जैसे मुश्किल माने जाने वाले विषयों पर उन्होंने साफ और गहरी सोच के साथ लिखा. उन्होंने लगभग दो दर्जन किताबें लिखीं. राजकमल प्रकाशन ने उनके सभी बड़े लेखन को ‘सच्चिदानंद सिन्हा रचनावली’ नाम से आठ भागों में छापा है.
सच्चिदानंद सिन्हा सिर्फ हिंदी, अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच भाषाओं के भी जानकार थे। उन्होंने मशहूर फ्रेंच लेखक अल्बेयर कामू की रचनाओं का भी हिंदी में अनुवाद किया, जिससे पाठकों को विदेशी साहित्य से जुड़ने का मौका मिला।
मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे छात्र जीवन में कई बार सच्चिदानंद जी को सुनने का अवसर मिला। एक बार वे कालीदास रंगालय, पटना में आयोजित युवा भारत के राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन करने आए थे। उन्होंने नव निर्माण की चुनौतियां और युवा वर्ग विषय पर काफी विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिया था। मुझे उनके जन्मदिवस पर उनके शिष्यों एवं सहयोगियों द्वारा मुजफ्फरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भी भाग लेने का अवसर मिला था।














