शोधगंगोत्री के विश्वविद्यालय समन्वयक बने प्रो. एम. आई. रहमान
विश्वविद्यालय द्वारा शोधार्थियों के शोध कार्य से संबंधित अनुमोदित शोध-प्रारूप को शोध गंगोत्री पोर्टल पर अपलोड किए जाने की प्रक्रिया निष्पादन हेतु विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. आई. रहमान को शोधगंगोत्री का विश्वविद्यालय समन्वयक नियुक्त किया गया है। इस संबंध में कुलपति प्रो. बी. एस. झा के आदेशानुसार कुलसचिव प्रो. अशोक कुमार ठाकुर ने अधिसूचना जारी कर दी है। मालूम हो कि प्रो. रहमान संप्रति ‘शोध शुद्धि’ और ‘शोधगंगा’ के भी विश्वविद्यालय समन्वयक हैं और इसके पूर्व वे उपकुलसचिव (अकादमिक) एवं निदेशक (अकादमिक) के रूप में भी सफलतापूर्वक कार्य कर चुके हैं।

प्रो. रहमान ने बताया कि शोधगंगा भारत का राष्ट्रीय शोध-पत्र संग्रह है जिसमें पूर्ण पीएचडी थीसिस और शोध प्रबंध (पूर्ण पाठ) संग्रहित हैं, जिसे यूजीसी द्वारा सार्वजनिक पहुंच के लिए अनिवार्य किया गया है। वहीं, शोधगंगोत्री एक पूर्ववर्ती मंच है जो चल रहे पीएचडी शोध के सारांश (प्रस्तावों) को संग्रहित करता है, जिससे दोहराव को रोका जा सके और शोध के रुझान प्रदर्शित किए जा सकें। इसके लिंक शोधगंगा में प्रकाशित अंतिम थीसिस से जुड़े होते हैं। शोधगंगोत्री को उस ‘स्रोत’ के रूप में सोचें ( जैसे गंगोत्री ग्लेशियर गंगा नदी को पानी देता है) जहाँ से शोध के विचार उत्पन्न होते हैं, जो शोधगंगा में ज्ञान की पूरी “नदी” का प्रवाह करते हैं।

उन्होंने बताया कि शोधगंगोत्री एवं शोधगंगा में अंतर है।शोधगंगोत्री विचार (सारांश) प्रस्तुत करता है, जबकि शोधगंगा अंतिम उत्पाद (थीसिस) प्रस्तुत करता है। शोधगंगोत्री शोध के पूरा होने से पहले ही उसे दृश्यता प्रदान करके, भारतीय उच्च शिक्षा में सहयोग और पारदर्शिता को बढ़ावा देकर शोधगंगा का पूरक है।















