BNMU। व्याख्यान/ भारत में बाल-साहित्य की परंपरा विश्व में सबसे प्राचीन है : डॉ. विकास दवे

भारत में बाल-साहित्य की परंपरा या प्रकारान्तर से कहें, तो संस्कार परंपरा संभवतः विश्व की सबसे प्राचीन परंपरा है। वैसे भारतीय साहित्य में बाल-विमर्श 1885 के बाद विधिवत प्रारंभ हुआ, किंतु सहज रूप से कथा-कहानियों गीत-भजनों के माध्यम से संस्कार देने की हमारी परंपरा अत्यंत प्राचीन रही है। यह बात देवपुत्र के संपादक, हिंदी सलाहकार समिति, इस्पात मंत्रालय के सदस्य एवं स्वच्छता अभियान, भारत सरकार के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. विकास दवे ने कही।

वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर 28 जुलाई, 2020 मंगलवार को भारत में बाल साहित्य : परंपरा और संभावनाएं विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

    1. उन्होंने कहा कि संस्कृत वांग्मय में कथा-मालाओं के ग्रंथों के रूप में सिंहासन बत्तीसी, बेताल पच्चीसी, कथासरित्सागर और पंचतंत्र जैसे अनेक ग्रंथ प्राप्त होते हैं। इन सब में समाहित कथाएं स्वाभाविक रूप से एक आदर्श मनुष्य का निर्माण करती हैं। व्यक्ति को जीवन मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता की पूर्ति यह सभी ग्रंथ करते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत के सभी महापुरुषों के जीवनी साहित्य को पढ़ने पर यह ध्यान में आता है कि उन सब ने बाल्यकाल में जो बाल साहित्य पढ़ा था, वही बाल साहित्य उनके जीवन निर्माण का कारक बना। दुर्भाग्य से नई पीढ़ी ने लिखना पढ़ना छोड़ ही दिया है। अब नई पीढ़ी केवल लिसनर और व्यूअर बनकर रह गई है। स्वाभाविक रूप से स्वाध्याय की प्रवृत्ति में आई हुई यह कमी बाल- साहित्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो रही है।

उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक माता-पिता अथवा शिक्षक बच्चों में संवेदनशीलता की अपेक्षा करते हैं। लेकिन यह उन बच्चों में तभी प्रवेश कराया जा सकता है, जब उनमें बाल-साहित्य पढ़ने की आदत डाल दी जाए।

उन्होंने कहा कि देश में कुछ साहित्यकारों ने अपने आप को बड़ा बनाने के लिए बच्चों का साहित्य लिखने वाले साहित्यकारों को निम्न दर्जे का घोषित करने का एक कुचक्र रचा।

उन्होंने कहा कि साहित्य का सौभाग्य है कि देश में रवीन्द्रनाथ ठाकुर और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसे रचनाकारों ने बाल- साहित्य लेखन को साहित्यकार होने की प्रथम कसौटी घोषित कर दिया। यही कारण है कि आज भारत में बाल-साहित्य की ओर साहित्यकारों का रुझान बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि 1885 की प्रथम बाल पत्रिका बालबोधिनी के प्रकाशन के साथ ही साहित्य में पृथक से बाल-साहित्य विमर्श प्रारंभ हो गया था। आज बाल- साहित्य में शोध की अत्यधिक संभावनाएं हैं। इंदौर में भारत के प्रथम बाल साहित्य शोध संस्थान के निर्माण के साथ ही इस दिशा में कुछ बड़े कदम उठाए गए हैं। आज भारत भर के विश्वविद्यालयों में बाल-साहित्य पर शोध कार्य संपन्न हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमें आधुनिक युग के इन गूगल पीढ़ी के बच्चों के लिए हम बाल-साहित्य को तथ्यपरक बनाने का प्रयास करना चाहिए। उसको तर्कों के आधार पर विज्ञान की कसौटी पर कसा जाना अत्यंत अनिवार्य सा लगता है। बाल मन को अवसाद ग्रस्त होने से बचाने के लिए और उसकी हिंसक वृत्ति को निर्मूल करने के लिए बाल-साहित्य ही एकमात्र उपाय हो सकता है।

उन्होंने कहा कि हम देश की नई पौध को राष्ट्रीयता, संस्कृति प्रेम और सामाजिक सरोकारों के जीवन मूल्यों से ओतप्रोत करने वाला बाल साहित्य उपलब्ध कराएं। आनंदमूलक बाल-साहित्य आज के बच्चे की प्रथम और अंतिम आवश्यकता बन गई है।

उन्होंने कहा कि बाल-साहित्य के सृजन में और उसमें शोध कार्यों में प्राध्यापकों और शोधार्थियों को अपनी भूमिका तय करने की जरूरत है। हम सबको मिलकर भारत में बाल-साहित्य को सम्मानजनक स्थान दिलाना है।

संक्षिप्त परिचय निम्नवत है-

नाम- डॉ. विकास दवे

आत्मज – स्व. जीवनलाल जी दवे
जन्म- 3 मई, 1969
शिक्षण- स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य), एम.फिल.(हिन्दीसाहित्य), पी-एच.डी. (बाल पत्रकारिता)
संप्रति- सम्पादक, ‘देवपुत्र’
विशेष – राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से अनुमोदित, डॉ. मृदुला सिन्हा (महामहिम राज्यपाल, गोआ) द्वारा अभियान का ब्रांड एम्बेसेडर मनोनित।

केन्द्र सरकार के इस्पात मंत्रालय की केन्द्रीय हिन्दी सलाहकार समिति का सदस्य।

कार्यानुभव – 23 वर्षों से ‘देवपुत्र’, बाल मासिक में प्रबंध सम्पादक।
सम्पादकीय कार्य- 7 वर्षों तक मासिक ‘सेवा प्रेरणा’ का सम्पादन, लम्बे समय तक जागृत युगबोध (मासिक), चौथा विश्वास (साप्ताहिक), छात्र -‘युवा दर्पण’ (मासिक)आदि में सम्पादकीय सहयोग।

अन्य संपादित ग्रंथ – ‘कतरा कतरा रोशनी’(काव्य संग्रह), ‘वीर गर्जना’ (काव्य संग्रह), ‘जीवन मूल्य आधारित बाल साहित्य लेखन’,‘स्वदेशी चेतना’, ‘गाथा नर्मदा मैया की’ आदि का सम्पादन।


लेखन (पुस्तक प्रकाशित)- सामाजिक समरसता के मंत्रदृष्टा: डॉ. अम्बेडकर, भारत परम वैभव की ओर, शीर्ष पर भारत, एकनाथ रानडे, पंचगव्य चिकित्सा, पौराणिक गोभक्ति कथाएं, आधुनिक युग के, गोभक्तों की कथाएं, गोभक्ति गीत माला, वेद पुराणों में गोमाता, दादाजी खुद बन गए कहानी (बाल कहानी संग्रह), दुनिया सपनों की (बाल कहानी संग्रह), पाती बिटिया के नाम (पत्र संग्रह), कैसा हो मेरा घर, आज़ाद हिंद सरकार, बाल पत्रकारिता और देवपुत्र के संपादकीय लेख : एक विवेचन (लघु शोध प्रबंध), समकालीन हिन्दी बाल पत्रकारिता-एक अनुशीलन (दीर्घ शोध प्रबंध), राष्ट्रीय स्वातंत्र्य समर -1857 से 1947 तक(संस्कृति मंत्रालय म. प्र. शासन के लिए), दीर्घ नाटक ‘देश के लिए जीना सीखें’ (म. प्र. हिन्दी साहित्य अकादमी के लिए), लर्न बाय फन ( L.B.F.) की कक्षा 6,7,8 की हिन्दी पाठ्य पुस्तकों में 2-2 रचनाएं सम्मिलित की गई।

शोध आलेख – 50 से अधिक शोध आलेखों का प्रकाशन।
रचनाओं का प्रकाशन – देवपुत्र, जागृत युगबोध, सेवा प्रेरणा ‘साक्षात्कार पत्रिका’, सुबह सवेरे, चरैवेती, नई दुनिया, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, राज एक्सप्रेस, नवभारत, राष्ट्रधर्म, पांचजन्य, स्वदेश, महानगर प्लस,बाल साहित्य समीक्षा, हेलो बेबी, आर्गेनाइजर (विकली), युग प्रभात, अर्पण समर्पण, आदि पत्र पत्रिकाओं में एक हजार से अधिक रचनाओं का प्रकाशन ।
वार्ता प्रसारण – 20 वर्षों सें आकाशवाणी से बालकथाओं एंव वार्ताओं के अनेक प्रसारण ।
व्याख्यान – देशभर की प्रतिष्ठित व्याख्यानमालाओं एवं राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में 15 सौ से अधिक व्याख्यान।
सदस्यता – म. प्र. शासन की पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा समाहित करने हेतु गठित सलाहकार समिति में सदस्य, म.प्र. शासन की पाठ्यक्रम में गीता दर्शन को सम्मिलित करने हेतु गठित सलाहकार समिति में सदस्य, म. प्र. साहित्य अकादमी के पाठक मंच हेतु साहित्य चयन समिति में सदस्य।

सम्मान- बाल साहित्य प्रेरक सम्मान 2005, इन्दौर
स्व. भगवती प्रसाद गुप्ता सम्मान 2007, कानपुर
अ.भा. साहित्य परिषद नई दिल्ली द्वारा सम्मान 2010
राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास, दिल्ली सम्मान 2011
स्व. प्रकाश महाजन स्मृति सम्मान 2012
स्व. श्री धर्मचन्द जैन स्मृति सम्मान वर्ष 2012
पं. दीनदयाल उपाध्याय युवा पत्रकारिता सम्मान 2013 सरस्वती शिशु मंदिर पूर्व छात्र परिषद् द्वारा सम्मान 2014 साहित्य परिषद् का शब्द साधक सम्मान 2014
विश्व हिन्दी सम्मान 2015 राजकुमार जैन फाउंडेशन बाल साहित्य सम्मान 2016
बाल साहित्य जीवन गौरव सम्मान 2018
स्व. सरस्वती सिंह स्मृति साहित्य सेवा सम्मान 2019
ओंकारलाल शास्त्री स्मृति सम्मान 2020
संस्कृति भवन साहित्य सेवा सम्मान 2020
स्व.पं. विश्वनाथ मेहता स्मृति श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान 2020 साहित्य क्रांति अलंकरण 2020

सम्पर्क- 3, वी. आई.पी. धनश्री नगर, इन्दौर-452009 (म. प्र.)