वन्देमातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता को समर्पित उसका अमर प्रणाम है। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का दिल है, जिसने हर युग में हमारे देशभक्ति के जज़्बे को चरम पर पहुंचाया। जब अंग्रेजों की बेड़ियां कड़ी थीं, तब इस गीत ने हमें आज़ादी की चाह दी और एकजुट किया।

यह गीत मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम, त्याग और सम्मान का प्रतीक है। इसके शब्दों में छिपी है उस मिट्टी की खुशबू जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। वन्दे मातरम् यह सिखाता है कि स्वतंत्रता केवल एक हक़ नहीं, बल्कि हमारे लिए एक पवित्र कर्तव्य है।
आज भी जब यह गीत गूंजता है, तो हर भारतीय के दिल में जोश भर देता है, एकता का संदेश देता है और हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत और देशभक्ति की गंगा में बहा ले जाता है। वन्दे मातरम् हमें याद दिलाता है कि मातृभूमि के लिए समर्पण ही सबसे बड़ी पूजा है।
सशक्त, प्रेरणादायक और भावुक—वन्दे मातरम् हमारे लिए आज भी उतना ही जीवंत और आवश्यक है जितना कि 150 साल पहले स्वतंत्रता आंदोलन के समय था। इसका गान हर दिल को एक नई ऊर्जा और उम्मीद से भर देता है।
इसलिए, वन्दे मातरम् हमारे राष्ट्र का आत्मा स्वरूप है, जो हमें हमेशा अपने देश से प्रेम, सम्मान और समर्पण की प्रेरणा देता रहेगा।
प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, पूर्व कुलपति, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
(फेसबुक वॉल से साभार।)












