#नई_आमद : #रामबहादुर_राय_चिंतन_के_आयाम
लेखक : वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक प्रो. Kripashankar Chaubey जी
•◾हिंदी पत्रकारिता में ऐसे व्यक्तित्व कम होते गये हैं, जिन्हें युवा पीढ़ी अपने आदर्श के रूप में सामने रख सके। परंतु ‘रोल मॉडल’ का अकाल भी नहीं पड़ा है। सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के प्रतिनिधि हस्ताक्षर के रूप में श्री रामबहादुर राय हमारे सामने हैं। जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, प्रथम प्रवक्ता, यथावत आदि पत्र-पत्रिकाओं में उनका जनपक्षधर पत्रकारी स्वरूप हमारे सामने है। सहज-सरल भाषा, सुरुचिपूर्ण शैली और तथ्यों की प्रामाणिकता उनके नीर-क्षीर विवेक के परिचायक हैं। उजली पत्रकारिता के साथ-साथ उनका लेखक रूप भी गहरे तक प्रभावित करता है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर एवं विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनियाँ जिस अंदाज में उन्होंने लिपिबद्ध की हैं, वह हिंदी में विरल प्रयोग है। आचार्य कृपलानी के कृतित्व को उन्होंने बड़ी प्रामाणिकता के साथ विस्मृति में खोने से बचाया है। स्वाधीनता के अमृतकाल में भारतीय संविधान पर बहस और पुनरीक्षण का ठोस आधार उनकी पुस्तक ‘भारतीय संविधान-अनकही कहानी’ ने रचा है। वे सादा जीवन उच्च विचार का साकार स्वरूप हैं। समावेशी स्वभाव और मानवीय संवेदना से संपृक्त आचार-विचार श्री रामबहादुर राय को सबका अपना बनाता है। इस समूची भाव-भूमि पर गहन अध्येता और लेखक प्रो. कृपाशंकर चौबे ने यह पुस्तक लिखी है। निश्चित ही नयी पीढ़ी के पत्रकारों तथा सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं के लिए यह कृति सीख-सिखावन की सार्थक भूमिका निभायेगी।
– विजयदत्त श्रीधर (संस्थापक-संयोजक , सप्रे संग्रहालय)
Vijay Dutt Shridhar जी
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