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बीएनएमयू के स्थापना दिवस पर परिचर्चा आयोजित।

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*बीएनएमयू का 34वां स्थापना दिवस पर परिचर्चा आयोजित*

*विश्वविद्यालय की स्थापना हमारे लिए गौरव की बात : मधेपुरी*

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा का 34वें स्थापना दिवस के अवसर पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ ने कहा कि भूपेन्द्र नारायण मंडल देश के जाने-माने समाजवादी विचारक थे। उनके नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना हमारे गौरव की बात है।

उन्होंने बताया कि भूपेन्द्र नारायण मंडल की स्मृतियों को सुरक्षित रखने हेतु पहले कॉलेज चौक तथा फिर विश्वविद्यालय परिसर में उनकी प्रतिमा लगाई गई थी। आगे विभिन्न लोगों के प्रयासों से विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।

*सन् 1992 में हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना*
मुख्य वक्ता प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि मधेपुरा जिला की स्थापना डॉ. जगन्नाथ मिश्र के कार्यकाल में 1981 ई. में हुई। इसके ग्यारह वर्षों बाद 1992 में विश्वविद्यालय का निर्माण लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में हुआ है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रवि विचार मंच के संयोजक एवं कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना 10 जनवरी, 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार द्वारा की गई थी और ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्कालीन प्रधानाचार्य प्रो. रमेंद्र कुमार यादव ‘रवि’ को संस्थापक कुलपति होने का गौरव प्राप्त हुआ था।‌

*33 वर्षों में काफी आगे बढ़ा है विवि*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय स्थापना काल से लेकर अद्यतन 33 वर्षों में काफी आगे बढ़ा है। इसमें प्रथम कुलपति प्रो. रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’ से लेकर वर्तमान कुलपति प्रो. बी. एस. झा तक की महती भूमिका रही है।

उन्होंने बताया कि स्थापना के समय इस विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कोसी एवं सीमांचल का सात जिलों में फैला था। लेकिन 18 मार्च, 2018 से पूर्णिया विश्वविद्यालय अलग हो गया है। अब बीएनएमयू मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल तीन जिलों में फैला है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि हम सबों को मिलकर विश्वविद्यालय के विकास हेतु कार्य करना है। हम सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाएंगे, तो विश्वविद्यालय आगे बढ़ेगा।

इस अवसर पर डॉ. शहरयार अहमद, डॉ. कुमार ऋषभ, विद्यानंद यादव, डॉ. दिलीप कुमार दिल, डॉ. श्याम प्रिया, शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार चौहान एवं रतन कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।

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