वर्धा, 25 सितंबर 2020 : एकात्म मानव दर्शन के द्रष्टा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में शुक्रवार, 25 सितंबर को ‘तुलनात्मक धर्म की भारतीय दृष्टि : दाराशिकोह से दीनदयाल तक’ विषय पर तुलनात्मक धार्मिक परंपरा के प्रखर विद्वान, केरल राज्य के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान जी ने ऑनलाईन विशिष्ट व्याख्यान दिया।विश्वविद्यालय के अभिनवगुप्त संकुल में पूर्वाह्न 11 बजे आयोजित समारोह में केरल के माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपने विचार रखे।उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी ने एकात्म मानववाद का सिद्धांत मानव को विचारकेंद्र में रखकर स्थापित किया। दीनदयाल जी ने भारतीय परंपरा के अनुसार राजनैतिक व सामाजिक दृष्टिकोण में एकात्मक चिंतन के आधार पर वैश्विक परिदृश्य में मानववाद को सम्पोषित किया। व्यक्ति के निर्माण में अपनी सांस्कृतिक समग्रता के आलोक में अद्वैत चिंतन के द्वारा ही समाज पूर्णता को प्राप्त कर सकता है। राज्यपाल महोदय ने कहा कि दाराशिकोह का धार्मिक चिंतन एकात्मक था। वस्तुत: सभी धर्म मूलत: एक हैं। उचित साधना द्वारा प्रत्येक धर्म मुक्ति के माध्यम बनते हैं। मुक्ति का मार्ग सत्यनिष्ठा, चित्तशुद्धि और जनसेवा है। उन्होंने कहा कि दाराशिकोह द्वारा उपनिषदों की फारसी में अनुवाद के कारण ही पूरे यूरोप में औपनिषदिक ज्ञान परंपरा का प्रसार हुआ। मानवधर्मी दाराशिकोह ने पहली बार सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया और मनुष्यता के धर्म को प्रस्तावित किया। विश्व मनीषियों के सामने उपनिषदों का ज्ञान उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है। मानवी प्रेम में ईश्वरानुभूति एकाकार हो गयी और तुलनात्मक धर्म का सत्व पूरे विश्व में आलोकित हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल जी ने कहा कि भारत में तुलनात्मक धर्म का उद्देश्य, धर्मों में उपासना और पंथों में समानता की तलाश नहीं वरन् एकत्व की तलाश है। समानता और विभेद की खोज नहीं है अपितु ऐसी पद्धति और प्रणाली की खोज है जिसको जीवन में उतारते हुए मनुष्य सबमें एकात्म की सर्जना कर सकता है। एकात्मता से ही सभी के प्रति समता, ममता और सहिष्णुता का भाव निर्मित कर सकता है। दाराशिकोह और दीनदयाल उपाध्याय जी इसी भारतीय परंपरा के अध्येता हैं। कुलपति महोदय ने राज्यपाल महोदय के अभिनंदन पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल एवं प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल एवं प्रो. चंद्रकांत रागीट ने दीप प्रज्ज्वलन कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अभिवादन किया। माननीय राज्यपाल का स्वागत एवं परिचय वक्तव्य प्रतिकुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने किया । कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया।इस अवसर पर प्रो. मनोज कुमार, प्रो. कृपा शंकर चौबे, प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. प्रीति सागर, प्रो.अनिल कुमार राय, प्रो. अवधेश कुमार, प्रो. रवींद्र बोरकर, डॉ. मनोज कुमार राय, डॉ. जयंत उपाध्याय, डॉ. सूर्यप्रकाश पांडेय, डॉ. एम. एम. मंगोडी, डॉ. राजेश्वर सिंह, राजेश अरोड़ा, सुशील पखिडे, विनोद वैद्य, ज्योतिष पायेड, डॉ. पीयूष पातंजलि, डॉ. लेखराम दन्नाना, डॉ. जगदीश नारायण तिवारी, संजय तिवारी, राजेश यादव, बी. एस. मिरगे उपस्थित थे।