*दर्शन परिषद्, बिहार का 48वां अधिवेशन गयाजी में*
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नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा में दर्शन परिषद्, बिहार के 47वें वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन सोमवार को आमसभा की बैठक आयोजित की गई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि परिषद का 48वां अधिवेशन दर्शनशास्त्र विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के तत्वावधान में आयोजित होगा। इस तरह ज्ञानभूमि नालंदा के बाद बिहार के दार्शनिकों का समागम मोक्ष-भूमि गयाजी में होगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 30-31 जनवरी, 2026 को आर. पी. एम. कॉलेज, पटना सिटी में प्रवृत्ति एवं निवृत्ति विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।
बैठक के प्रारंभ में महासचिव प्रो. श्यामल किशोर ने सभी सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि परिषद निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। इसके अधिवेशनों में न केवल बिहार, वरन् पूरे देश और पड़ोसी देशों के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं।

कोषाध्यक्ष प्रो. वीणा कुमारी ने आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष प्रो. पूनम सिंह ने सभी वरिष्ठ सदस्यों से पूर्ववत मार्गदर्शन करते रहने का अनुरोध किया और कार्यकारिणी के सभी सदस्यों के प्रति सक्रिय सहयोग हेतु साधुवाद व्यक्त किया। धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष प्रो. अभय कुमार सिंह ने किया। अंत में पूर्व दिनों दिवंगत हुए प्रधान संपादक प्रो. आई. एन. सिन्हा सहित अन्य सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर सामान्य अध्यक्ष प्रो. रामाशंकर आर्य, आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा, पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी, भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष प्रो. राजकुमारी सिन्हा, पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रो. ऋषिकांत पांडेय, प्रो. किस्मत कुमार सिंह, प्रो. पूर्णेन्दु शेखर, प्रो. अवधेश कुमार सिंह, प्रो. महेश्वर मिश्र, डॉ. विजय कुमार, डॉ. सुधा जैन आदि उपस्थित थे।
*विभिन्न विभागों में लगभग तीन सौ पत्र प्रस्तुत किए गए*
नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के तत्वावधान में आयोजित हो रहे दर्शन परिषद्, बिहार के 47वें अधिवेशन के दूसरे दिन छः समानांतर विभागों में लगभग तीन सौ शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
महासचिव डॉ. श्यामल किशोर ने बताया कि प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों में से उत्कृष्ट पत्रों को पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही चुने हुए पत्रों को शोध-पत्रिका ‘दार्शनिक अनुगूंज’ में प्रकाशित किया जाएगा।

कार्यक्रम के संयोजक सह कुलसचिव प्रो. अभय कुमार सिंह ने बताया कि छः विभागों में सबसे अधिक 80 शोध पत्र समाज दर्शन विभाग में प्रस्तुत किए गए। इसकी अध्यक्षता समाज दर्शन प्रज्ञा राय, भागलपुर एवं डॉ. दिव्या कुमारी, मुजफ्फरपुर ने किया। नीति दर्शन विभाग में 70 पत्र प्रस्तुत किए गए। इसकी अध्यक्षता प्रो. सुनील कुमार सिंह, हाजीपुर एवं डॉ. रामनारायण मिश्र, बोधगया ने की। अन्य विभागों में भी 20-50 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। धर्म दर्शन विभाग की अध्यक्ष डॉ. मिहिर मोहन मिश्र ‘सुमन’, भागलपुर एवं समन्वयक डॉ. जियाउल हसन, पटना, तत्त्वमीमांसा के अध्यक्ष प्रो. श्याम रंजन प्रसाद सिंह, दयालपुर, समन्वयक डॉ. ममता सिंह, लखनऊ, तर्क एवं वैज्ञानिक विधि के अध्यक्ष डॉ. स्वस्तिका दास, भागलपुर एवं समन्वयक डॉ. रमेश विश्वकर्मा, मुजफ्फरपुर, और योग एवं संस्कृति प्रो. राजेश कुमार सिंह, पटना एवं समन्वयक डॉ. विजय कुमार मीणा रहे।

दर्शन परिषद बिहार में सास्कृतिक कार्यक्रमों ने बाँधा समाँ
नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के तत्वावधान में आयोजित होने वाले दर्शन परिषद्, बिहार के 47वें अधिवेशन के दौरान एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसका निदेशन एवं संचालन डॉ. पयोली एवं डॉ. तुलिका ने किया। कार्यक्रम के दौरान सरस्वती वंदना, नृत्य नाटिका एवं लोक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
*भक्ति गीतों पर झूमे दार्शनिक*
सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत विभिन्न भक्ति गीतों ने दार्शनिकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। प्रस्तुतियों की शुरुआत गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना से हुई। इससे पूरा वातावरण को भक्तिमय बन गया। युवा कलाकार लुसी एवं रंजित भारत द्वारा प्रस्तुत गायन ने सबका मन मोह लिया। खासकर राम आएंगे.. की प्रस्तुति ने पूरे हॉल में उर्जा का संचार कर दिया फिर दोनों ने छाप तिलक सब छीनी की प्रस्तुति के माध्यम से भी खूब वाहवाही बटोरी।
*भारतीय सांस्कृतिक विरासत की झलक*
संगीत की प्रस्तुति के बाद नृत्य नाटिका एवं लोक नृत्य की प्रस्तुतियां हुईं। इश प्रस्तुतियों में भारतीय सांस्कृतिक विरासत की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलीं। इसमें रत्ना सिंह, अनन्या कुमारी, बरखा चौधरी, शगुन श्रीवास्तव, समीक्षा कुमारी, स्वधीक्षा कुमारी, तनु एवं कौशिक श्रीवास्तव ने अपनी सशक्त भाव-भंगिमाओं एवं लयात्मकता से दर्शकों की खूब सराहना बटोरी।
*तबला वादन ने किया मोहित*
कार्यक्रम के अगले चरण में युगल तबला वादन ने संगीत प्रेमियों को विशेष रूप से मोहित किया। इस अवसर पर शाश्वत श्याम एवं प्रणव प्रताप आर्य ने भगवान बुद्ध की कथा का वर्णन तबले के बोलो में पिरोकर किया। इसमें उत्कृष्ट ताल-समझ और तकनीकी दक्षता का परिचय मिला। इसमें अभिषेक कुमार ने संगत कलाकार के रूप में प्रभावशाली सहयोग प्रदान किया। समग्र रूप से यह सांस्कृतिक आयोजन कला, संगीत और नृत्य का सुंदर संगम सिद्ध हुआ, जिसने उपस्थित दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी और भारतीय परंपरागत कलाओं के प्रति नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया।
*बौद्ध प्रार्थना*
सांस्कृतिक संध्या के अंत में पड़ोसी देश म्यांमार के वयम्मा एवं तमानंदा ने बौद्ध प्रार्थना प्रस्तुत किया।
*कलाकारों को किया गया सम्मानित*
कार्यक्रम के अंत में परिषद की ओर से सभी कलाकारों को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।












