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कविता/ वृक्षारोपण/ शिखा कुमारी

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अनंत काल तक जिंदा रहते हैं
वे लोग जो वृक्षारोपण करते हैं।

वे जिंदा रहते हैं पेड़ों की निर्मल छाया में।
भू-जल भंडार बन, अमृत के कण-कण में।
पत्तियाँ बन, जानवरों के सुंदर मन में।
फूल बन, यादों की खुशबू में।
औषधियां बन, रोगियों की आशाओं में।
फल बन, माँ की उपवास में।

वे जिंदा रहते हैं,                      मजबूत टहनीयाँ बन, बचपन के झुलों में।
लकड़ियाँ बन, ठंड की गर्माहट में।
हृदय बन, कोयल की आवाज में।
कलियाँ बन, प्रेम रस में
भवरों की मंत्र-मुग्ध सम्मोहन में।
काजल बन, प्रिय की आँखों में।
ना जाने वे जिंदा रहते हैं
कितनों के अमर गजलों में।
अक्सीजन बन, साँँसों की शक्ति में।
ऊर्जा बन, असंख्य शरीरों में।

सूरज की आत्मा में वे
अनंत काल तक जिंदा रहते हैं।

– शिखा कुमारी, सिंहेश्वर, मधेपुरा, बिहार

(बीएनएमयू संवाद के लिए आपकी रचनाएं एवं विचार सादर आमंत्रित हैं। आप हमें अपना आलेख, कहानी, कविताएं आदि भेज सकते हैं।
संपर्क वाट्सएप -9934629245)

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