घुंघरू बांध के बारिश आई, छम-छम कर एक धुन सुनाई,
नाच उठा गगन, ताल से ताल मिलाई,
शरीर, मन और आत्मा एक सीध में आई,
ओझल हुई, अद्भुत चमक,
मगन हुई, सर्व शक्तियां,
विलीन हुई, मिट्टी की काया,
नशे में झूम रही है माया,
चंदन, हल्दी, इत्र और कुमकुम,
अमृत प्याला संग सुगंधित प्रकृति,
प्रेम रस ओढ़ रही अभिलाषा,
रिद्धि-सिद्धि को घर लाई,
चारों तरफ खुशियां समाई,
घुंघरू बांध के बारिश आई।
शिखा कुमारी, सिंहेश्वर, मधेपुरा बिहार