गरीब रहकर मरना है अभिशाप : सूर्यकांत
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ऑनलाइन वेबिनार आयोजित
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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में बुधवार को फायनेन्शियल एजुकेशन : ए लाइफ स्किल अंडर एनईपी- 2020 विषयक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें भारत सरकार के वैधानिक निकाय भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, मुंबई के पूर्व महाप्रबंधक सूर्यकांत शर्मा ने अपना बीज वक्तव्य दिया।
उन्होंने कहा कि गरीब पैदा होना अभिशाप नहीं है, बल्कि गरीब रहकर मरना अभिशाप है। यदि हम सही जानकारी प्राप्त करके कठिन मेहनत करेंगे, तो समृद्धि को प्राप्त कर सकते हैं। समृद्धि हम सबों का अधिकार है।
उन्होंने बताया कि एनईपी- 2020 का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार लाना है। इस नीति के तहत वित्तीय शिक्षा को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में सम्मिलित किया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों को वित्तीय साक्षरता प्रदान करना और उन्हें सही वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाना है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को बचत, निवेश, बजट निर्माण और खर्च प्रबंधन की समझ प्रदान करना है। इसमें उन्हें बैंकिंग, बीमा, पेंशन, और अन्य वित्तीय सेवाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके अलावा इसमें धोखाधड़ी एवं वित्तीय अपराधों से बचने के तरीकों के बारे में शिक्षा देना और आर्थिक सिद्धांतों एवं बाजार की कार्यप्रणाली की समझ विकसित करने का उद्देश्य भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय साक्षरता का अर्थ धन के सही ढंग से उपयोग को समझने की क्षमता है। इसका अर्थ है पैसे के बारे में स्मार्ट निर्णय लेने के लिए ज्ञान एवं कौशल का होना। इसमें आपकी आय, खर्च, बचत, निवेश एवं ऋण का प्रबंधन करना शामिल है। वित्तीय रूप से साक्षर होने से आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और वित्तीय समस्याओं से बचने में मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय साक्षरता वित्तीय भविष्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह आपको बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, जिससे आप अपने पैसे का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि वित्तीय साक्षरता सभी के लिए महत्वपूर्ण है, चाहे आपकी आयु, आय या शिक्षा स्तर कोई भी हो। यह आपको अपने वित्तीय भविष्य को नियंत्रित करने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
उन्होंने कहा कि नौकरी पेशे से लेकर निजी क्षेत्र के कर्मियों, किसानों, मजदूरों सहित सभी लोगों के लिए वित्तीय नियोजन एवं बचत के निवेश की जानकारी महत्वपूर्ण है। बिहार के लोग बहुत मेहनत कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। लेकिन अर्जित धन से धन उत्पन्न करने की जानकारी का उनमें अभाव है। ऐसे में यहां सभी लोगों में वित्तीय नियोजन एवं कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता है। इससे ना केवल उनकी आय निरंतर बढ़ेगी, अपितु राज्य के सकल घरेलू उत्पाद पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने सभी को अपनी आय के अनुपात में बचत करते रहने की सलाह देते हुए बचत योजनाओं में बैंक जमा, डाकघर योजनाएं एवं एनएससी, केवीपी एवं सुकन्या समृद्धि योजना, इक्विटी से संबंधित या ऋण से संबंधित योजना, सावधि जमा, पारंपरिक बीमा योजनाओं, ऑनलाइन बचत योजनाओं में निवेश की जानकारी दी।
*एनईपी में है वित्तीय शिक्षा का समावेश*
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने की। उन्होंने बताया कि वित्तीय शिक्षा का समावेश एनईपी- 2020 में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह छात्रों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सक्षम बनाएगा। इसके माध्यम से न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि समाज और देश के आर्थिक विकास में भी योगदान होगा। वित्तीय शिक्षा छात्रों को जीवन के विभिन्न पहलुओं में सही वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी और उन्हें एक सुरक्षित एवं स्थिर भविष्य प्रदान करेगी।
*वित्तीय कौशल जीवन की अहम जरूरत*
कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार अग्रवाल ने किया। उन्होंने कहा कि वित्तीय नियोजन एवं कौशल हमारे जीवन की अहम जरूरत है। इसे हमारे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
विभिन्न कक्षाओं में वित्तीय साक्षरता के अनुसार सामग्री को विभाजित किया जाएगा।
धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने की। उन्होंने बताया कि यह वेबिनार पूरी तरह नि:शुल्क था और इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को ई. सर्टिफिकेट जारी किया गया।
कार्यक्रम में अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार, डॉ. शहरयार अहमद, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, अशोक कुमार, कौस्तुभा, विनोद कुमार जैन, शंकर कुमार, डेविड कुमार, सुदीन कुमार सहित कई शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
22 जनवरी, 2025