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*एक शाम हिंदी के नाम काव्य संध्या में दिखी कविता की इंद्रधनुषी रंग*

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*एक शाम हिंदी के नाम काव्य संध्या में दिखी कविता की इंद्रधनुषी रंग*

*हिंदी दिवस पर हिंदी को समृद्ध करने वाले नामचीन कलमकारों को किया गया नमन*

हिंदी दिवस के अवसर पर देर शाम आजाद पुस्तकालय के बैनर तले आयोजित एक शाम हिंदी के नाम काव्यगोष्ठी की शुरुआत अध्यक्ष प्रो विनय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में सर्व प्रथम हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले साहित्यकारों,कवियों,उपन्यासकारों की कड़ी में पहली पंक्ति के बड़े नाम भारतेंदु हरिश्चंद,प्रेमचंद्र,रामधारी सिंह दिनकर,मैथिलीशरण गुप्त,नागार्जुन,महादेवी वर्मा,सुभद्रा कुमारी चौहान,फणीश्वर नाथ रेणु आदि की तस्वीर पर संयुक्त रूप से पुष्पांजलि के साथ हुई।वहीं हिंदी दिवस 2025 की थीम
” हिंदी राष्ट्रीय एकता और वैश्विक पहचान की ताकत ” पर प्रकाश डालते हुए सबों ने एक स्वर में कहा कि भारत भारती की आन, बान,शान और पहचान है हिंदी।

*कविताओं में दर्द,मोहब्बत,चिंता का दिखा संगम*

आजाद पुस्तकालय के सचिव डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर के संचालन में
हिंदी दिवस को समर्पित एक शाम हिंदी के नाम काव्य संध्या की शुरुआत करते युवा कवयित्री गरिमा उर्विशा ने औरत की क्षमता को रेखांकित करते कहा मैने देखा है अकेली औरतों को अकेली औरतें कोमल नहीं होती,वे होती हैं फौलादी जिनमें प्रचुर होता है आत्मविश्वास वहीं पुरुष प्रधान समाज के दिखावे पर चोट करते हुए कहा वे नहीं बनना चाहती कभी देवी नहीं करवाना चाहती अपनी पूजा,उसे विशेष सौम्य और कोमल भी नहीं बनना। कामरेड रमन कुमार ने व्यवस्था पर कटाक्ष करते कहा ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दोहरा हुआ होगा,मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा, वहीं सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत बयां करते कहा यहां तक आते आते सुख जाती है सभी नदियां,हमें मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा।गजलकार सियाराम यादव मयंक ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते कहा कि भारत की पहचान है हिंदी,जन जन की सम्मान है हिंदी,राजा ,रंक,फकीर, साधुजन,गीता कुरान,बाइबिल भारत की पहचान है हिंदी।समाजशास्त्री डॉ. आलोक कुमार ने चुनौतियों के बीच नई पहल की बात करते कैनवासे जिंदगी कविता प्रस्तुत करते कहा आंखे में समाए सपने बड़े ,गढ़ने होंगे नए मुहावरे,तस्वीर यूं नहीं बदलेगी,लेने होंगे तुझे फैसले कड़े।

*अपना अपना भाग जगाते हैं लेकिन खुल के आग लगाते हैं*

विशिष्ट अतिथि वरीय साहित्यकार प्रो. सिद्धेश्वर काश्यप ने गजल के माध्यम से वर्तमान राजनीति के चाल चरित्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा
अपना अपना भाग जगाते हैं
लेकिन खुल के आग लगाते हैं
रामा रहमां सिर्फ रटा कर के
छुप छुप कर ये नाग बनाते हैं।
वहीं धर्म की राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा
मंदिर मस्जिद हैं बिलखा करते
माथे पर ये पाग सजाते हैं
भूखों को रोटी नहीं मिलती
कुरसी मिलते फाग सुनाते हैं।
सम्मानित अतिथि चर्चित व्यंग्यकार शशिकांत सिंह शशि ने अपनी व्यंग्यात्मक प्रस्तुतियों के द्वारा वर्तमान हालात को प्रस्तुत किया।मुख्य अतिथि स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष,सह पूर्व कुलसचिव प्रो विश्वनाथ विवेका ने हिंदी दिवस की सरकारी औपचारिकता पर केंद्रित रचना प्रस्तुत करते कहा हां मैं हिन्दी हूं, चौदह सितंबर वाली हिंदी,साल में एक बार आती हूं व्यथित हो अलख जगाती हूं।एक शाम हिंदी के नाम काव्य संध्या की अध्यक्षता करते हुए चर्चित व्यंग्य कवि प्रो विनय कुमार चौधरी प्रोफेसर की साली की प्रस्तुति दे उच्च शिक्षा में पैरवी के दौर को बयां किया।गोष्ठी का संचालन कर रहे डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने की है टुकड़ों में बांट के गलती,अब भी कहते हैं कराची में लोग बंटवारे के पहले का हिंदुस्तान अच्छा था कि प्रस्तुति दे भारत पाकिस्तान के हालिया दौर के दर्द को दिखाया।ध्यानवाद ज्ञापन एआईवाईएफ के राष्ट्रीय परिषद सदस्य शंभु क्रांति ने किया।गोष्ठी के अंत में सभी साहित्यकारों को आजाद पुस्तकालय की ओर से साहित्यिक सामग्री के साथ सम्मानित किया गया।

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