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BNMU। असहमति का होना स्वभाविक है

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मानव इतिहास में हमेशा असहमति रही है और यह स्वभाविक है। बगैर असहमति के विकास संभव नहीं है। यह बात राजनीति विज्ञान विभाग, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा मैं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी कुमारी ने कही।

वे बुधवार को बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला में असहमति का अधिकार विषय पर व्याख्यान दे रही थीं।

उन्होंने कहा कि हम अलग-अलग तरीके से सत्य की खोज करते हैं। जैन दर्शन में अनेकांतवाद कहा गया है। जिस तरह अलग-अलग व्यक्ति हाथी के अलग-अलग अंगों को देखकर उसके बारे में अलग-अलग धारणाएं बना लेता है, उसी उसी प्रकार हम सत्य को अलग-अलग कोनों से देखकर उसके बारे में अलग-अलग धारणाएं बना लेते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें सभी लोगों के विचारों को सुनना चाहिए। जो लोग स्थापित मान्यताओं के विरोध में कोई बात रखते हैं। हमें उनकी बातों का भी सम्मान करना चाहिए।

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