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Covid-19। अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की कला को परिभाषित करेगा यह कोरोना काल : अमृत कुमार झा

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जिंदगी और कोविड-19 व्याख्यान का ऑनलाइन आयोजन

मधेपुरा/सहरसा। आज बीएनएमयू, मधेपुरा के ऑनलाइन एक्सटेंशन व्याख्यानमाला के अंतर्गत ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी, दरभंगा के मनोविज्ञान के सहायक प्राध्यापक अमृत कुमार झा ने कोविड-19 और जिंदगी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर बारीकियों से प्रकाश डाला। अपने संबोधन के शुरुआत में डॉ. सुधांशु शेखर, डिप्टी रजिस्ट्रार (एकेडमिक) और डॉ. आनन्द मोहन झा,‌ अतिथि सहायक प्राध्यापक, मधेपुरा, का विशेष आभार व्यक्त करते हुए। उन्होंने इस संकट की घड़ी में सबके अंदर स्थापित आत्म को केंद्र बिंदु में रखा और यह कहा कि समस्या चाहे कितनी विकराल क्यों ना हो, मनुष्य के पास हमेशा यह स्वतंत्रता रहती है कि वह इस समस्या का निष्पादन कैसे करें।कोरोना महामारी के संक्षिप्त विवरण से उन्होंने  इसके संगिनता के मद्देनजर इसको गंभीरता पूर्वक लेने की अपील की। उन्होंने पूर्व में घटित वैश्विक महामारी और इस कोरोना महामारी के अंतर को स्पष्ट किया और साथ ही साथ इक्कसवीं सदी की जीवन शैली, सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से स्वचालित इंफोडेमिक और फेक न्यूज़ से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने इस महामारी के बदलते परिवेश जैसे लॉकडाउन, क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग, तथा वर्क फ्रॉम होम के कारण जीवन में आए बदलावों के मनोवैज्ञानिक कारकों का उल्लेख किया।
अंत में  उन्होंने अपने विषय वस्तु जिंदगी और कोरोना महामारी से संबंधित सकारात्मक मनोविज्ञान के बहुतेरे उपायों तथा तरीकों को बतलाया और मनुष्य को सशक्त और अपने अंदर चल रहे नकारात्मक संवेग को स्वीकारने का आह्वान किया। ज्ञातव्य रहे कि इस व्याख्यान का प्रसारण बीएनएमयू संवाद के फेसबुक पर से लाइव प्रसारण किया गया।

रिपोर्ट- डॉ. आनन्द मोहन झा,‌ अतिथि सहायक प्राध्यापक, रसायनशास्त्र विभाग, एम. एल. टी.काॅलेज, सहरसा, बिहार

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