Search
Close this search box.

सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. ललन प्रसाद अद्री का उद्गार।

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

मैंने 02 मई, 1983 को पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा में प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवा की शुरुआत की थी। आगे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर रहते हुए सेवा का सुअवसर मिला। अंततः 31 अक्टूबर, 2024 को विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद से औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त हुआ।

आज 14 नवंबर, 2024 को विभागीय सहयोगियों एवं विद्यार्थियों ने मेरे सम्मान में विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन किया। इसके लिए मैं नवनियुक्त विभागाध्यक्ष अनुजवत प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार सिंह सहित सभी उपस्थित विभागाध्यक्षों, शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।

इस अवसर पर मैं अपनी लंबी शैक्षणिक यात्रा में सहयोग करने वाले सभी प्रधानाचार्यों तथा सभी माननीय कुलपतियों एवं सभी कुलसचिवों सहित सभी पदाधिकारियों के प्रति भी साधुवाद व्यक्त करता हूँ। मैं अपने साथ विभिन्न रूपों में कार्य करने वाले सभी अपनी सहयात्री शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को भी साधुवाद देता हूँ।

अंत में, कवि शिवमंगल सिंह सुमन के शब्दों में, “जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद। जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं, सीमित पग-डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं। दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रमाद जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद। साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई, दो स्नेह-शब्द मिल गए, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई। पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ-साथ चल रही याद जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद। जो साथ न मेरा दे पाए, उनसे कब सूनी हुई डगर? मैं भी न चलूँ यदि तो भी क्या, राही मर लेकिन राह अमर। इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गए स्वाद

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद। कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अन्तर? कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर। आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।।”

बहुत-बहुत धन्यवाद।

-प्रो. (डॉ.) ललन प्रसाद अद्री, विभागाध्यक्ष (सेवानिवृत्त), विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग तथा पूर्व निदेशक (नियुक्ति कोषांग) एवं पूर्व विकास पदाधिकारी, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा (बिहार)

https://youtu.be/V1VkRjJlivo?si=w6CMx8h-MjMtOFpx

 

READ MORE

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।