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सुशासन के प्रतीक भारतरत्न से सम्मानित देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी 100वीं जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!

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*जन्मदिवस पर याद किए गए मालवीय एवं अटल*

भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक भारतरत्न मदनमोहन मालवीय के वें जन्मदिवस तथा भारत के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के 100वें जन्मदिवस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रांगण में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने दोनों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि मदनमोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेई हमारे देश के गौरव हैं। दोनों ने देश को आगे बढ़ाने में महती भूमिका निभाई।

इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि मदनमोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेई ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में महती भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि मालवीय ने लोगों से चंदा मांगकर बीएचयू जैसे सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना की।इसी तरह हमारे महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल ने भी विभिन्न शिक्षण संस्थानों की स्थापना की।

 

कार्यक्रम का संचालन नगर अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि मदनमोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेई ने भारत को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सीनेटर डॉ. रंजन यादव ने कहा कि युवाओं को मदनमोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेई के विचारों से प्रेरणा ग्रहण करने की जरूरत है।

इस अवसर पर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, विभाग संयोजक सौरभ यादव, जिला प्रमुख डॉ. दिलीप कुमार दिल, जिला संयोजक नवनीत यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आमोद आनंद, नीतीश यादव, मनीष यादव, समीक्षा यदुवंशी, अंकित आनंद, बालकृष्ण कुमार, सत्यम कुमार, अंशु कुमार, रवि रंजन कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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