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शिक्षा तथा पर्यावरण जैसे समसामयिक संदर्भ से संबंधित सुझावों पर संज्ञान लिये जाने हेतु अनुरोध-पत्र।

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शिक्षा तथा पर्यावरण जैसे समसामयिक संदर्भ से संबंधित सुझावों पर संज्ञान लिये जाने हेतु अनुरोध-पत्र
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सेवा में,

आदरणीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास्त मोदी जी,                  भारत के प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक रायसीना हिल, नई दिल्ली-110011

विषय शीर्षक – शिक्षा तथा पर्यावरण जैसे समसामयिक संदर्भ से संबंधित सुझावों पर संज्ञान लिये जाने हेतु अनुरोध-पत्र ।

मान्यवर !

सादर सूचित है कि देश के सभी राज्यों के लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवाओं में भर्ती हेतु संयुक्त परीक्षा का आयोजन किया जाता है जिसमें ‘शिक्षा सेवा संवर्ग’ का भी पद शामिल है। इन पदों पर नियुक्त अधिकारियों द्वारा छात्र-छात्राओं की गुणात्मक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षण-प्रशिक्षण की बेहतरी के संबंध में नीतिगत प्रस्ताव तैयार करने तथा धरातल पर इसे साकार करने हेतु निरन्तर अनुश्रवण किया जाता है।

महोदय, उपरोक्त तथ्यों को मेरे द्वारा अंकित किये जाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) द्वारा विभिन्न सिविल सेवाओं हेतु राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन ‘शिक्षा’ जैसे गंभीर एवं संवेदनशील विषय के निमित्त ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ एवं अन्य विशिष्ट सेवा की तर्ज पर ‘भारतीय शैक्षिक सेवा’ (Indian Education Service) का संवर्ग गठित कर राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त परीक्षा का प्रावधान

नहीं किया जाना सर्वया विचारणीय है। अतः देश के नौनिहालों एवं युवाओं के हितार्थ ‘संघ लोक सेवा आयोग’ द्वारा शिक्षा जैसे अविवादित विषय को प्राथमिकता देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा सेवा संवर्ग का पद गठित करते हुए ‘भारतीय शैक्षिक सेवा’ की परीक्षा भी आयोजित किये जाने का प्रावधान किया जाना श्रेयस्कर प्रतीत होता है। कृपाकर इस मुद्दे पर आपका हस्तक्षेप प्रार्थित है।


द्वितीयतः संस्कृत साहित्य के एक शाश्वत श्लोक में समस्त सजीव प्राणियों का जीवन-आधार समाहित है “क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंचरचित यह अधम शरीरा।”

लेकिन आज प्राणवायु के निमित्त उन पाँचों तत्वों का मानव-समुदाय के मतलबी और स्वार्थी होने के कारण समूचा विश्व पर्यावरणीच संकट झेल रहा है। भौतिकता में रमते जा रहे हमलोग प्रकृति और परमात्मा के संबंधों को भूल जा रहे हैं। हाल ही में देखा गया कि कोरोना विषाणु ने बौद्धिक वर्गों को अपनी उपस्थिति का सिर्फ इशारा मात्र किया कि प्रकृति के दंड देने के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं?

सम्प्रति पर्यावरणीय संदर्भ में अब समय आ गया है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में कार्यपालिका के सर्वोच्च नेतृत्वकर्ता के रूप में आपके द्वारा देश के विभिन्न स्थानों पर ‘राजनीतिक मेगा रैली’ की तर्ज पर पर्यावरणीय जनजागरुकता मेगा रैली” आयोजित की जाये ताकि देशवासियों में लोकजागरण का भाव जगे।

अंततः आपके जैसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की शख्सियत के संके दनशीलता से उपरोक्त दोनों ही विषय निश्चितरूपेण संपूर्ण देशवासियों के लिए लोकोपकारी सिद्ध होगा- इसी विश्वास के साथ।

अनुरोधपूर्ण याचना के रूप में समर्पित ।

आग्रही
संजीव कुमार सिंह, सं. वि. प.

Bnmu Samvad
Author: Bnmu Samvad

Dr. Sudhanshu Shekhar, Bhupendra Narayan Mandal University, Laloonagar, Madhepura-852113 (Bihar), India

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