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Bhumandalikaran aur Vishwashanti भूमंडलीकरण और विश्वशांति

4. भूमंडलीकरण और विश्वशांति भूमंडलीकरण के समर्थक मानते हंै कि दूर-संचार माध्यम और उपग्रह आदि के द्वारा संपूर्ण विश्व सिमटकर एवं वैश्विक परिवार बन गया है, दूरियाँ महत्वहीन हो गई हैं।1 परंतु क्या इस भौतिक सामीप्य ने विश्व के विभिन्न देशों के नागरिकों के दिलों की दूरियों को समाप्त कर दिया है? दूसरा, भूमंडलीकरण के दौरान राष्ट्र-राज्य का क्या होगा? और तीसरा, क्या नैतिक मूल्यों के पुनस्र्थापन के बिना हमारी भौतिक एवं वैज्ञानिक प्रगति अधूरी नहीं है? अर्थात् क्या बिना नैतिक मूल्यों को आश्रय दिए विश्वशांति एवं विश्वबंधुत्व की स्थापना की जा सकती है? आज इन सवालों का उत्तर देने में भूमंडलीकरण के समर्थक असमर्थ साबित हो रहे हैं। मालूम हो कि ‘भूमंडलीकरण’ की पहली प्रस्तावना यह है कि विश्व के सभी देशों की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ एकबद्ध या एकीकृत हो गयी हैं। ‘इस मान्यता के ...