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Vikas aur Manvadhikar विकास और मानवाधिकार
13. विकास और मानवाधिकार
भूमंडलीकरण के रथ पर सवार आधुनिक मानव ‘विकास’ की बुलंदियों पर है। आज उसके पास हैऋ आकाश को मुंह चिढ़ाते बहुमंजिले मकान, धरती की छाती लांघते द्रुतगामी वायुयान और हवा में बातें करते विकसित संचार-समान। वह अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा है, कर रहा है समुद्रतल पर क्रीड़ा और घूम रहा है लेकर दुनिया को अपनी मुट्ठी में! वह नदियों को रोक सकता है, पहाड़ों को तोड़ सकता है और हवाओं का रूख मोड़ सकता है। उसने धरती के सभी जीवों को अपने वश मंे कर लिया है और प्रकृति-पर्यावरण को जितने के लिए लगा रहा है जोर! यह है आधुनिक विकास के विश्वविजयी अभियान की कुछ कहानियाँ!!
मगर, इस कहानी का दूसरा पहलू बड़ा ही भयावह है। पूरी दुनिया में प्रायः हर जगह लोगों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। आज भी हम सभी लोगों को भोजन, वस्त्रा, आवास एवं चिकित्सा और शिक्षा, रोजगार एवं सुरक्षा आदि उपलब्ध कराने में नाकामयाब...