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Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन
SRIJAN.AALEKH

Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन

स्वास्थ्य शरीर, मन और आत्मा की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है। इस स्थिति में व्यक्ति सभी प्रकार की रूग्नताओं से मुक्त होता है और उसके सभी अंग-प्रत्यंग सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में, यह वह आदर्श स्थिति है, जिसमें शरीर स्फूर्तिवान, मन प्रसन्न एवं आत्मा मुदितापूर्ण होती है और दसों इंद्रियाँ (पाँच कर्मेंद्रियाँ, यथा- हाथ, पाँव, मुँह, जननेंद्रिय एवं गुदा और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ, यथादृ आँख, नाक, कान, जिह्ना एवं त्वचा) और मन (ग्यारहवीं इंद्रिय) का कार्य-व्यवहार संपूर्ण (सम्यक्) रूप से चलता है।1 स्वस्थ शरीर का अर्थ मोटा-तगड़ा शरीर नहीं है, अर्थात् इसमें पहलवानों या अतिशय दौड़ने-कूदने वालों का समावेश नहीं है। वरन्, इसका आशय व्याधिरहित शरीर से है, अर्थात् वैसा शरीर जो सामान्य काम कर सके। दूसरे शब्दों में, "जो मनुष्य बगैर थकान के रोज दस-बारह मील चल सकता है, जो बगैर थकान के स...
Gandhi। मजबूती का नाम महात्मा गांधी/ स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड
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Gandhi। मजबूती का नाम महात्मा गांधी/ स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड

मजबूती का नाम महात्मा गांधी स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड ‘मैं कई महीनों से सामाजिक सुधार की जिस पद्धति की तलाश में था, वह मुझे प्रेम और अहिंसा पर गांधीवादी दर्शन में मिली। मुझे लगा कि दलितों के लिए उनके मुक्ति संघर्ष का तरीका नैतिक और व्यावहारिक दृष्टि से ठीक है। - मार्टिन लूथर किंग (‘स्ट्राइड्स टुवर्डस फ्रीडम पुस्तक में) ‘यह कौन दुस्साहसी है, यह कौन योद्धा है। जो अपने प्यार से, अपनी नि:सीम सद्भावना से। अपने सत्य से, संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्य को चुनौती दे रहा है।– अंग्रेज कवि ब्रेल्सफोर्ड ( ‘ए हिस्टोरिक मार्च पुस्तक में) ‘घने जंगल में थका हारा सिपाही, हताश सो गया। उसके सपने को कृतार्थ किया एक महात्मा ने, एक गुरुदेव ने। एक ने मुस्कराते हुए अग्निपथ पर चलने की प्रेरणा दी। एक ने अमृतवाणी से मूर्छित चेतना को झकझोर दिया। मेरा नमन लो महात्मा.’ - कवि नक्रुमा ...
Gandhi। गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन)
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Gandhi। गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन)

गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन) ============== आधुनिक सभ्यता के रथ पर आरूढ़ ‘मानव’ तथाकथित विकास की बुलंदियों पर है। आज आकाश को मुँह चिढ़ाते गगनचुंबी मकान, हवा से तेज दौड़ते वायुयान, धरती की दूरियों को खत्म कर देने वाले संचार सामान आदि उसकी पहचान हैं। उसने महामारियों से लड़ने वाले अचूक टीके बनाए हैं, शल्य-चिकित्सा के अत्याधुनिक उपकरण विकसित कर लिए हैं और बना लिया है, यौन-क्षमता से लेकर बौद्धिकता तक को बढ़ाने वाली दवाइयाँ। उसके पास हैं- कृत्रिम गर्भाधान, परखनली शिशु, अंग- प्रत्यारोपण एवं मानव-क्लोनिंग की तकनीक और झाड़ू लगाने एवं खाना बनाने से लेकर प्रेम एवं सेक्स करने तक में दक्ष मशीनें (रोबोट)। आज वह समुद्र की अतल गहराइयों में खेल रहाहै, अंतरिक्ष की सैर कर रहा है, ढूँढ रहा है- चाँद एवं मंगल पर बस्तियाँ बसाने की संभावनाएँ और देख रहा है-अमरता के सपने भी। लेकिन, तस्वीर का दूसरा पहलू ...
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Gandhi। गाँधी-विमर्श क्यों ?

                         गाँधी-विमर्श क्यों ? आधुनिक सभ्यता के रथ पर आरूढ़ ‘मानव’ तथाकथित विकास की बुलंदियों पर है। आज आकाश को मुँह चिढ़ाते गगनचुंबी मकान, हवा से तेज दौड़ते वायुयान, धरती की दूरियों को खत्म कर देने वाले संचार सामान आदि उसकी पहचान हैं। उसने महामारियों से लड़ने वाले अचूक टीके बनाए हैं, शल्य-चिकित्सा के अत्याधुनिक उपकरण विकसित कर लिए हैं और बना लिया है, यौन-क्षमता से लेकर बौद्धिकता तक को बढ़ाने वाली दवाइयाँ। उसके पास हैं- कृत्रिम गर्भाधान, परखनली शिशु, अंग- प्रत्यारोपण एवं मानव-क्लोनिंग की तकनीक और झाड़ू लगाने एवं खाना बनाने से लेकर प्रेम एवं सेक्स करने तक में दक्ष मशीनें (रोबोट)। आज वह समुद्र की अतल गहराइयों में खेल रहा है, अंतरिक्ष की सैर कर रहा है, ढूँढ रहा है- चाँद एवं मंगल पर बस्तियाँ बसाने की संभावनाएँ और देख रहा है- अमरता के सपने भी। लेकिन, तस्वीर का दूसरा पहलू बड़ा ही ...