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Badala बदला । प्रेमकुमार मणि, पटना
बदला । प्रेमकुमार मणि, पटना
सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु से चल कर राजगृह आए, तब वह कोई तीस साल के युवा थे. इस उम्र के युवा प्रायः जिज्ञासु होते हैं. लोगों से मिलने-जुलने उनके भावों-विचारों को जानने की उनमें उत्कंठा होती है. और सिद्धार्थ तो परम-जिज्ञासु थे. संसार का घाल-मेल उनकी समझ में न आ रहा था. राजगृह में उन दिनों विचारकों का मेला लगा रहता था. कुछ यही सोच कर हिमालय की नीरव तराई से सिद्धार्थ मगध के कोलाहल भरे इस धाम में आए थे.
सिद्धार्थ ने मक्खलि गोसाल की ख्याति सुनी थी. वह जीवन और जगत को अपनी ही तरह से समझते-समझाते थे. किसी तय पंथ, शास्त्र या महापुरुष पर उनका यकीन नहीं था. उनके जीवनानुभव ही उनके लिए सब कुछ था और इतने से उनका काम चल जाता था.
एक सुबह सिद्धार्थ उनसे मिलने उनके ठिकाने पर पहुंचे,तब वह अपने बनाए कच्चे घड़ों को घाम में सुखाने का उपक्रम कर रहे थे. उनका सहज-सरल जीवन था. सिद्धा...